भारत हमेशा से उत्सव प्रिय देश रहा है, देश में हर दिन कोई न कोई उत्सव या त्यौहार मनाया जाता है। वहीं देश के प्रमुख त्यौहारों होली, राखी, नवरात्रि, दशहरा और दीवाली में लोगों का उत्साह देखते ही बनता है। हर कोई अपने प्रियजनों के साथ त्यौहारों का आनंद मनाना चाहता है। लेकिन विद्युत कंपनियों में पदस्थ संविदा कर्मचारी वर्षों से परिवार के साथ त्यौहार मनाने का इंतजार कर रहा है, लेकिन अधिकारियों की तानाशाही में उनकी ये इच्छा दम तोड़ती नजर आ रही है।
ऐसा नहीं है कि उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो सकती, लेकिन विद्युत कंपनी प्रबंधन और सरकार की अनदेखी और लचर रवैया हर त्यौहार में संविदा कर्मचारी और उनके परिवार का उत्साह फीका कर देता है। विद्युत कंपनियों में पदस्थ संविदा कर्मियों का यह दर्द हर त्यौहार में टीस बनकर उभर जाता है। वे घर-परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर त्यौहारों में अकेले रहने को मजबूर होते हैं, लेकिन ये दर्द मुख्यालय में बैठे अधिकारी शायद ही समझ पायें।
मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि घर-परिवार से दूर अकेले रहने वाले संविदा कर्मियों को इतना वेतन भी नहीं मिलता कि वे बार-बार लंबी यात्राओं का खर्च वहन कर सकें। उनका तो ज्यादातर वेतन किराये-भाड़े और भोजन की व्यवस्था में ही खर्च हो जाती है। अगर संविदा कर्मी यात्रा का खर्च उठा भी ले तो उसे अवकाश ही नहीं दिया जाता, जिससे वो घर जाकर अपने परिजनों के साथ त्यौहार मना सके।
हरेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि अगर संविदा कर्मियों की नियुक्ति उनके गृह नगर या आसपास के क्षेत्र में भी हो जाये तो वे भी परिजनों के साथ मिलकर उल्लासपूर्वक त्यौहार मना सकेंगे, उनके साथ रह सकेंगे। काफी लंबे अर्से से उनकी एक ये भी मांग है कि उन्हें भी कंपनी टू कंपनी स्थानांतरण की सुविधा मिलनी चाहिए।