मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर संभाग जबलपुर के प्रभारी संयुक्त संचालक राममोहन तिवारी अपने कार्यालय की चौकीदार अनीशा बाई से 21000 रुपये रिश्वत की मांग कर रहे थे।
चौकीदार महिला द्वारा इसकी शिकायत लोकायुक्त जबलपुर से की गई। मंगलवार 12 अक्टूबर को लोकायुक्त टीम द्वारा जेडीई कार्यालय के स्टेनों सहित दो लिपिकों को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों ट्रेप किया गया।
वहीं महिला चौकीदार का कहना है कि जेडीई द्वारा रिश्वत के पैसे स्वयं न लेते हुए अपने अधीनस्थ कर्मचाचारियों को देने के लिए कहा गया था, जेडीई के कहने पर महिला चौकीदार द्वारा बताये गये कर्मचारियों को रिश्वत की रकम सौंप दी गई।
यहां उल्लेखनीय है कि राममोहन तिवारी संस्कारधानी में 18 वर्ष पूर्व प्राचार्य 10+2 के पद पर मानटेसरी जबलपुर में पदस्थ हुए थे, वहीं पर उन्हें तीन-तीन बार सहायक संचालक, उपसंचालक, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एवं प्रभारी संयुक्त संचालक के रूप में इन्हें प्रोफारमा पदोन्नति मिली। इन्होंने भ्रष्टाचार में संलिप्ता 18 वर्षों से इन्हें जमा रखी है। जेडीई कार्यालय का भ्रष्टाचार इतनी चरम सीमा पर पहुंच गया है कि अपने ही कार्यालय में पदस्थ महिला चौकीदार से भी रिश्वत लेने में परहेज नहीं है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मन्सूर बेग आदि ने एसपी लोकायुक्त से मांग की है कि इनके मान्टेसरी में विगत 18 वर्षों के कार्यकाल की अति सूक्षम आर्थिक अनियमितताओं की जांच की जाये। साथ ही आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर प्रभारी जेडीई के निलंबन की मांग की है।