मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि जिले के साथ-साथ प्रदेश के समस्त प्रशिक्षण संस्थान राज्य विज्ञान शिक्षा संस्था, प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, मनोविज्ञान शिक्षा संस्थान जैसे अनेकों प्रशिक्षण संस्थानों में सैकडों प्राचार्य संवर्ग, व्याख्याता संवर्ग एवं अन्य संवर्ग के शिक्षक विगत कई वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर जमे हुए हैं, जबकि यह प्रतिनियुक्ति अधिकतम दो वर्षों की लिए की जाती है।
प्रशिक्षण संस्थान शिक्षकों की आरामगाह बने हुए हैं। बीएड, एमएड एवं मनोविज्ञान के नये पाठयक्रम आने के बाद भी इन्हीं शिक्षकों से विषय विरूद्ध अध्यापन कार्य कराया जा रहा है, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर प्रश्नवाचक चिन्ह है। जिस शिक्षक, व्याख्याता, प्राचार्य ने आज तक मनोविज्ञान विषय स्वयं नहीं पढ़ा, वह कैसे प्रशिक्षाणियों को प्रशिक्षण का पाठ पढा सकता है? जो स्वयं प्रशिक्षित नहीं है, वह बीएड, एमएड संस्थानों में वर्षों से जमे हैं। यह शिक्षा विभाग का जंगल राज है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, संजय यादव, अटल उपाध्याय, नरेन्द्र दुबे, मुन्नालाल पटैल, मन्सूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, गोविन्द विल्थरे, रजनीश तिवारी, डीडी गुप्ता, अरूण दुबे, आरके गुलाटी, चन्दु जाउलकर, अंकुर प्रताप सिंह, राकेश राव, सत्येन्द्र ठाकुर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, साहिल सिद्दीकी, मनोज खन्ना, राजेश चतुर्वेदी आदि ने आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र मप्र भोपाल ईमेल के माध्यम से पत्र प्रेषित कर मांग की है कि प्रदेश के समस्त प्रशिक्षण संस्थानों में वर्षों से जमे प्राचार्य, व्याख्याता एवं अन्य शिक्षक संवर्ग के लोक सेवकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करते हुए नये एवं योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाये, ताकि गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण शिक्षकों को मिल सके।