वेस्ट सेंट्रल रेलवे मज़दूर संघ से निष्कासित चल रहे भूतपूर्व अध्यक्ष आरपी भटनागर व उनके पुत्र रेलवे के बाहरी भूतपूर्व कार्यकारी अध्यक्ष अमित भटनागर कुर्सी के लालचवश असंवैधानिक तरीके से अपना साम्राज्य बचाने सारी हदें पार कर रहे हैं।
मंडल सचिव डीपी अग्रवाल ने बताया कि रेल मजदूर संघ के संविधान के अनुसार संघ के किसी भी पदाधिकारी को किसी को भी निलंबित या निष्कासित करने अथवा नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है। लेकिन संगठन से बेदखल हो चुके पिता-पुत्र सदमें में अपना आपा में खो बैठे हैं।
सेन्ट्रल रेलवे से आयतित कर्मचारी व बाहरी व्यक्तियों को इटारसी बुलाकर अमान्य बैठक की जिस बैठक का सभी ने एक स्वर में विरोध किया था। पुत्र मोह में अंधे हुए आरपी भटनागर 84 वर्ष के बुजुर्ग होने के बाद भी उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा है, वो अपनी बचीकुची साख भी मिटटी में मिला रहे हैं। इस तरह के असंवैधानिक आदेश निकाल रहे हैं, जैसे संघ उनकी पर्सनल प्रॉपर्टी हो।
संघ के मंडल अध्यक्ष एसएन शुक्ला ने कहा कि संघ कर्मचारियों का संगठन है, जिसे रेल कर्मचारियों के खून पसीने से संचालित किया जाता है। जिसको संघ के संविधान व नियमों की जानकारी नहीं है, उन्हें इतने सालों तक अध्यक्ष कैसे बने रहने दिया गया, ऐसा रेल कर्मचारी कह रहे हैं।
जनभावना का सम्मान करते हुए पूर्व अध्यक्ष भटनागर को पुत्र मोह व पद का त्याग कर सम्मानजनक विदाई लेना चाहिए। ज्ञात हो 10 दिनो से जबलपुर में डेरा डाले हुए है, जबकि इसके पूर्व वे वर्ष में मुशिकल से 15-20 दिन ही पमरे में समय व्यतीत करते थे।