आईएसए ने विश्व ऊर्जा भविष्य शिखर सम्मेलन-2018 (डब्लयूएफई एस) के अवसर पर 17 से 18 जनवरी के दौरान दो दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा गठबंधन मंच’ की मेजबानी की। डब्लयूएफईएस वैश्विक स्तर का अनूठा कार्यक्रम है। आबूधाबी (यूएई) में 18 जनवरी, 2018 को आबूधाबी निरंतरता सप्ताह का आयोजन मसदर द्वारा किया गया। आईएसए कार्यक्रम के दौरान आईएसए के बारे में सूचना के प्रसार और इसकी गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी के लिए आईएसए मंडप स्थापित किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मंच के पहले दिन 17 जनवरी को आईएसए मंत्रियों का पूर्ण मंत्रीस्तरीय सत्र का आयोजन किया गया। आईएसए सदस्य देशों के सात ऊर्जा मंत्रियो ने मंत्रीस्तरीय सत्र में भाग लिया। उन्होंने सार्वभौमिक ऊर्जा, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सौर ऊर्जा के सहयोग, ज्ञान के लाभ और शुरूआती सत्रों में सौर परियोजनाओं के लिए नवोन्मेष प्रौद्योगिकी और अनुसंधान और विकास में निवेश पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर अपने मुख्य भाषण में केन्द्रीय ऊर्जा एवं नवीन और नवीनकरणीय ऊर्जा (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री राजकुमार सिंह ने अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मंच के आयोजन के लिए आईएसए को बधाई दी। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा सस्ती हो गई है और परंपरागत ऊर्जा को बदलने के लिए तैयार है और यह एक स्वस्थ विकास है। उन्होंने कहा भारत के पास विश्व में तीव्र गति से बढ़ना वाला नवीनकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम हैं और वर्ष 2020 से पूर्व 175 जीडब्लयू के स्थापित नवीनकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। श्री आर के सिंह ने कहा आईएसए सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आवश्यक निधि एकत्र करने में सहायता करेगा। अपने संबोधन के दौरान श्री सिंह ने सौर परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए भारत सरकार द्वारा 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सौर विकास निधि की स्थापना की घोषणा की। 6 दिसंबर 2017 को 15 देशो से अनुमोदन होने पर अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) ढांचा अनुबंध की शुरूआत हुई। इसने अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को एक विधि सम्मत संधि आधारित अन्तर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बना दिया। अभी तक 19 देशों ने इसे स्वीकृति दी है और 48 देशों ने आईएसए ढांचा अनुबंध पर हस्ताक्षऱ किये हैं।