रोशनी का पर्व दीपावली गुरुवार 4 नवंबर को पूरे देश में हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता है कि लंका पर विजय के बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता एवं लक्ष्मण चौदह वर्ष के वनवास के बाद जब अयोध्या लौटे तो उनके आगमन की खुशी में पूरे अयोध्या राज्य में दीप जलाकर उत्सव मनाया गया था।
जिसके बाद से हर वर्ष पूरे भारतवर्ष में दीपोत्सव मनाया जाता है। इस दिन माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, भगवान गणेश के साथ ही कुबेर की भी पूजा की जाती है। जैसे माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है, उसी प्रकार कुबेर को धन का देवता कहा जाता है और जिस घर में ये दोनों निवास करते हैं, वहां पर धन की कभी कमी नहीं होती।
मान्यता है कि माँ लक्ष्मी की पूजा सभी प्रकार के कष्टों को दूर करती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसीलिए माँ लक्ष्मी को सुख-समृद्धि की देवी भी कहा गया है। जीवन में जब माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, तो व्यक्ति का जीवन में खुशहाली आती है।
दिवाली का शुभ मुहूर्त
दिवाली का पर्व 4 नवंबर 2021 गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन अमावस्या तिथि का प्रारम्भ प्रात: 6:03 बजे से होगा। अमावस्या तिथि का समापन पंचांग के अनुसार 5 नवंबर 2021 को प्रात: 2:44 बजे होगा।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
गुरुवार 4 नवंबर 2021 की शाम 6:09 बजे से रात्रि 8:20 बजे तक
अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
चित्रा नक्षत्र- 4 नवंबर सुबह 7:42 बजे तक चित्रा नक्षत्र रहेगा। उसके बाद स्वाती नक्षत्र लग जायेगा जो 5 नवंबर की सुबह 5:07 बजे तक रहेगा। प्रीति योग सुबह 11:09 बजे तक रहेगा।
आयुष्मान योग: 4 नवबर की सुबह 11:10 बजे से 5 नवंबर की सुबह 11:07 बजे तक।
प्रदोष काल: 4 नवंबर की शाम 5:34 बजे से 8:10 बजे तक रहेगा। इस दौरान अमृत और चर की चौघडियां मिलेगी।
महानिशिथ काल: रात 12:05 बजे से लाभ की चौघडियां मिलेगी।
महानिशिथ काल: रात 11:38 बजे से रात 12:30 बजे तक।