वर्तमान में मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों से बहुत ज्यादा है। साथ ही विद्युत आपूर्ति से लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतों के निराकरण तक सारा दारोमदार इन्हीं संविदा कार्मिकों पर ही है।
इसके बावजूद जब बात वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ता बढ़ाने की आती है तो सारा लाभ नियमित कार्मिक ही उठा लेते हैं और हर बार संविदा कार्मिक हाथ मलते रह जाते हैं। हाल ही में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी और वेतन वृद्धि के एरियर्स के लिए यूनाइटेड फोरम के आह्वान पर किये गए कार्य बहिष्कार आंदोलन में संविदा कार्मिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, लेकिन जब महंगाई भत्ते और एरियर्स का लाभ उन्हें नहीं मिला तो वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसके बाद यूनाइटेड फोरम पर भी सवाल उठने लगे हैं।
संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों का कहना है कि नियमित कर्मचारियों को तो DA प्राप्त हो गया परंतु संविदा कर्मचारियों को अभी तक DA प्राप्त नही हो पाया है। क्या फोरम की लड़ाई नियमित कर्मचारियों के DA मिलने की थी। क्या संविदा कर्मचारियों के लिए DA का कोई प्रावधान नहीं है, यदि नहीं तो फिर आन्दोलनों में संविदा कर्मचारियों को सम्मिलित करने का क्या औचित्य। अपनी मांग पूरी होने पर संविदाकर्मियों को दरकिनार कर दिया जाता है क्यों? क्या दिवाली का त्यौहार सिर्फ नियमित कर्मचारियों के लिए ही DA के रूप में खुशियां संविदा कर्मचारियों कर परिवार को नहीं। चूँकि विदित है कि संविदा कर्मचारियों का वेतन नियमित कर्मचारियों की अपेक्षा आधा भी नहीं है, फिर भी उनके हितों की कोई बात नहीं है।
संविदा कर्मियों ने यूनाइटेड फोरम के पदाधिकारियों से अपील की है कि जिस तरह आपके DA आदेश होकर आपको DA प्राप्त हुआ है। उसी तरह संविदा कर्मचारियों को भी DA दिलवाएं। हर संविदा कर्मचारी इस दीवाली पर अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। कोई भी संविदा कर्मी इस निर्णय से खुश नहीं है और उनमें असंतोष फैल रहा है।