मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित हुई कैबिनेट की बैठक में मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में पंजीकृत पवन ऊर्जा परियोजनाओं एवं नवीन परियोजनाओं के विकास के लिये निर्णय लिया है कि वर्तमान में 750 MV क्षमता की विंड-सोलर हायब्रिड (विंड, सोलर ऊर्जा का 33% न्यूनतम आवश्यक घटक) परियोजनाओं की स्थापना के लिए 2.78 रुपये प्रति यूनिट सीलिंग टैरिफ रखते हुए, बिड आमंत्रित की जाएगी।
भविष्य में नवीन एवम नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार आरपीओ की आपूर्ति के लिए पवन ऊर्जा परियोजनाओं अथवा पवन एवं सौर ऊर्जा हायब्रिड परियोजनाओं के लिए बिड आमंत्रित की जाएगी। बिड प्रोसेस मैनेजमेंट की कार्यवाही विभाग की संस्था रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा संपादित की जाएगी। बिड में न्यूनतम क्रय दर प्रस्तुत करने वाले विकासक का चयन परियोजना विकास के लिये किया जायेगा।
राज्य की संस्था द्वारा पवन ऊर्जा से उत्पादित विद्युत का क्रय मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित नवकरणीय ऊर्जा क्रय आबंधन (आरपीओ) के अनुसार किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2025 तक राज्य को आरपीओ की पूर्ति के लिए लगभग 5000 MV क्षमता की आवश्यकता के दृष्टिगत 1500 MV अतिरिक्त क्षमता की आवश्यकता होगी। इसके लिए प्रदेश में पवन ऊर्जा परियोजनाओं के विकास की महती आवश्यकता है।
मध्य प्रदेश पवन ऊर्जा के क्षेत्र में देश में प्रगतिशील राज्यों में शामिल है। राज्य में वर्ष 2012 में स्थापित कुल क्षमता 314 MV से बढ़कर अद्यतन 2444.15 MV हो गयी है। इस प्रकार वर्ष 2012 से अद्यतन लगभग 8 गुना वृद्धि अर्जित की गयी है।