मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि जबलपुर ग्रामीण सर्किल के अंतर्गत पाटन डिवीजन में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी कल्लू सिंह का 9 अक्टूबर 2021 को डीपी में कार्य करते समय करंट लगने की वजह से हाथ पैर सीना आदि झुलस गया था।
हादसे के बाद तत्काल उसे जबलपुर के निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। इसके बाद 16 अक्टूबर 2021 को फिर आउटसोर्स कर्मी को दूसरे निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, लेकिन यहां भी आराम नहीं लगने के कारण 19 अक्टूबर 2021 को उसे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों के द्वारा 22 अक्टूबर 2021 को आउटसोर्स कर्मी कल्लू सिंह का दाहिना हाथ काट दिया गया।
आउटसोर्स कर्मी कल्लू सिंह क्रिस्टल कंपनी के अंतर्गत कार्य करता था, उसके इलाज में लगभग 2,15,000 रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन ठेका कंपनी के द्वारा कोई सहायता राशि अभी तक नहीं दी गई है।
जिस पर तकनीकी कर्मचारी संघ के द्वारा ऊर्जा मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी चाही गई है कि ठेका श्रमिकों के लिए क्या नीति बनाई गई है। जब से विद्युत मंडल का कंपनीकरण हुआ है, उसके बाद मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों प्रबंधन के द्वारा आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य कराया जा रहा है।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि 2002 से अब तक लगभग 19 वर्षों में सैकड़ों की तादाद में आउटसोर्स कर्मियों की करंट लगकर मृत्यु हो गई है। वहीं अनेक आउटसोर्स कर्मियों के हाथ पैर काट दिए गए हैं, जबकि संघ के द्वारा सरकार, ऊर्जा विभाग और कंपनी प्रबंधन को अनेक पत्र लिखे गए कि आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य कराने का कोई अधिकार नहीं है, फिर भी अधिकारियों द्वारा उनसे करंट का कार्य कराकर उनकी जान जोखिम में डाली जा रही है।
संघ के रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके मौर्या, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, टी डेबिड, पीएन मिश्रा, राजेश यादव, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवार आदि ने ऊर्जा मंत्रालय से मांग की है कि आउटसोर्स कर्मियों के लिए जो नीति बनाई गई है, उस नीति की जानकारी संघ को दी जाए।