मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ शिक्षक अध्यापक प्रकोष्ठ के प्रांत अध्यक्ष मुकेश सिंह ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जिस प्रकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों को हक में निर्णय लिया है, उसी तर्ज पर 2005 से बंद पुरानी पेंशन को पुना चालू कर एनपीएस पेंशन कानून को रद्द किया जाए, जिससे प्रदेश ही नहीं सारे देश के लाखों कर्मचारियों को राहत रहेगी।
न्यू पेंशन स्कीम से कर्मचारियों का आर्थिक शोषण हो रहा है। न ही उन्हें कुछ पेंशन का लाभ मिल रहा है। जब विधायक, सांसद व मंत्रियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है, तो कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है, यह समझ के परे है।
35 से 40 वर्ष शासकीय सेवा करने के बाद कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मात्र 1500 से 2000 के बीच पेंशन दी जा रही है, जिससे उसका स्वयं का भरण पोषण मुश्किल है, परिवार का भरण पोषण कैसे करेगा। जबकि सेवानिवृत्त होने वाला कर्मचारी का अंतिम वेतन न्यूनतम ₹50000 होता है।
₹50000 मासिक कमाने वाले व्यक्ति को ₹2000 में गुजारा भत्ता कैसे दिया जा सकता है, यह समझ के परे है। अगर न्यू पेंशन स्कीम इतनी अच्छी है तो सभी विधायकों व सांसदों को भी एक स्वर में न्यू पेंशन स्कीम अपनाकर पुरानी पेंशन स्कीम का त्याग कर देना चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि पेंशन होती क्या है।
संघ के मुकेश सिंह, मनीष चौबे, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, श्याम नारायण तिवारी, मनीष लोहिया, राकेश दुबे, मनोज सेन, गणेश उपाध्याय, नितिन शर्मा, धीरेन्द सोनी, मोहम्मद तारिक, राकेश पांडे, मनीष शुक्ला, सुदेश पांडे, प्रणव साहू, संतोष तिवारी, विनय नामदेव, आदित्य दीक्षित, प्रियांशु शुक्ला, संतोष कावेरिया, मनोज पाटकर आदि ने प्रधानमंत्री को एक मेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि कृषि कानून की तर्ज पर न्यू पेंशन स्कीम भी बंद की जाए।