मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा शहरी क्षेत्र के नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाले शासकीय व अशासकीय शालाओं में पढ़ने वाले अप्रवेशीय व शाला त्यागी के साथ साथ नव प्रवेशी बच्चों की आधी अधूरी तीसरी सूची उपलब्ध कराई गई है, जिसमें बच्चों के पिता का नाम, बच्चों का नाम, पता व मोबाइल नम्बर भी गलत अंकित हैं। शिक्षकों द्वारा इन बच्चों को खोज कर पता करना है कि वर्तमान में बच्चा किस शाला में प्रवेशरत हैं तथा शाला त्यागने का क्या कारण है।
राज्य शिक्षा केन्द्र के इस तुगलकी आदेश से शिक्षक परेशान हैं कि आधी अधूरी व गलत सूची से बच्चों का सर्वे कैसे कर उन्हें खोजा जाए। सर्वे के लिए जारी सूची में बच्चों के मोबाइल नम्बर गलत होने के कारण शिक्षकों को सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही है। जिससे वर्तमान में शाला में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का पढाई का नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही शिक्षक भी परेशान हैं। राज्य शिक्षा केन्द्र के शिक्षा विरोधी तुगलकी फरमान से सभी शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है।
संघ के योगेन्द दुबे, मंसूर बेग, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डेय, गोविन्द बिल्थरे, रजनीश तिवारी, डीडी गुप्ता, अरूण दुबे, आरके गुलाटी, चन्दू जाउलकर, उमेश पारीख, बिट्टू आलूवालिया, वीरेन्द्र तिवारी, घनश्याम पटेल, राकेश राव, सत्येन्द्र ठाकुर, ब्रजेश मिश्रा, नरेन्द्र सिंह चौहान, आलोक बाजपेयी, विपिन शर्मा, सुधीर पण्डया, श्याम नारायण तिवारी, नितिन शर्मा, मनोज सेन, महेश कोरी, संतोष तिवारी आदि ने आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र, भोपाल से मांग की है कि शहरी क्षेत्र में चल रहें सर्वे को तत्काल बंद कर अधूरी सर्वे सूची जारी करने वालों पर कठोर कार्यवाही की जाए ।