विद्युत मुख्यालय शक्ति भवन को खंड-खंड करने की तैयारी, 2002 से ही शुरू हो गई थी साजिश

मध्य प्रदेश विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में जबलपुर स्थित विद्युत कंपनियों के मुख्यालय शक्ति भवन को खंड-खंड किये जाने की साजिश का पुरजोर विरोध किया है।

संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि शक्ति भवन पर मध्य प्रदेश सरकार की बुरी नज़र लग चुकी है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के विघटन के बाद मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल बनाया गया, उसके बाद वर्ष 2002 में मध्य प्रदेश शासन मंडल को छह कंपनियां में बांटकर विद्युत मंडल को खंड-खंड करने की साजिश में सफल हो गया।

मप्र शासन द्वारा कंपनी बनाकर प्रशासनिक अधिकारियों को प्रबंध संचालक इसलिए बनाया गया था कि बिजली कंपनी को फायदा पहुंचाया जा सके एवं उपभोक्ता सेवा सर्वोपरि का ध्यान रखते हुए उनके घरों में गुणवत्तापूर्ण बिजली पहुंचाई जाए। मगर वर्ष 2002 के बाद देखा जाए तो प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा कंपनियों को करोड़ों रुपए के कर्जे में डूबा दिया गया है।

संयुक्त मोर्चा का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी कंपनी चलाने में पूर्ण तरीके से विफल हो गए हैं, अपने आप को बचाने के लिए कभी वह मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन का कार्यालय, तो कभी रेवेन्यू मैनेजमेंट का कार्यालय भोपाल ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।

संयुक्त मोर्चा के हरेंद्र श्रीवास्तव, अशोक जैन, अजय मिश्रा, राजकुमार नायक, एसके सचदेवा, मोहन दुबे, राकेश रमन रैकवार, आरके जैन, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, जेके कोस्टा, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, सुरेंद्र मिश्रा आदि के द्वारा रेवेन्यू मैनेजमेंट कार्यालय को भोपाल ले जाने की साजिश का तीव्र विरोध किया जाएगा।