मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों का शोषण बदस्तूर जारी है। ताज्जुब की बात है कि जिस विद्युत विभाग को आउटसोर्स कर्मी अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय दे रहे हैं, उसी विद्युत कंपनी के प्रबंधन और अधिकारियों को आउटसोर्स कर्मियों का शोषण दिखाई नहीं देता, मानों ठेका कंपनियों के समक्ष विवश होकर हार मानते हुए अधिकारियों ने अपनी आँखें और कान बंद कर लिए हैं। कंपनी प्रबंधन को आउटसोर्स कर्मियों की परेशानी न दिखाई दे रही है और न ही उनकी गुहार सुनाई दे रही है, वहीं सरकार भी अनजान बनी हुई है।
यूं तो विद्युत विभाग में कार्यरत सभी आउटसोर्स कर्मियों का शोषण हो रहा है। खासतौर पर प्रदेश का कोई भी कोना हो, आउटसोर्स कर्मियों को वेतन के लिए ठेका कंपनियां बहुत परेशान कर रही हैं। अक्सर ही ऐसी स्थितियां निर्मित हो जाती है जब कर्मियों को कई महीने तक वेतन नहीं मिलता, जिससे जहां कर्मियों के परिजनों को खाने के लाले पड़ जाते हैं, वहीं कर्मियों के छोटे-छोटे बच्चों को भी भूखा रहना पड़ता है। इसके बावजूद अधिकारियों और ठेकेदारों की संवेदनाएं मरी हुई पड़ी रहती हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि एक ओर जहां विद्युत कंपनियों के मुख्यालय में बैठे आला अधिकारियों की नाक के नीचे जबलपुर ग्रामीण सर्किल के तीनों डिवीजन में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों को एक महीने से ठेका कंपनी क्रिस्टल ने वेतन नहीं दिया है, वहीं दूसरी ओर पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के टीकमगढ़ सर्किल के 132 केवी सब-स्टेशन दिगोडा में पदस्थ सुरक्षा कर्मियों को तीन महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि टीकमगढ़ के दिगोडा में स्थापित 132 केवी सब-स्टेशन में पदस्थ ठेका कंपनी ईगल हंटर सॉल्यूशन के 8 सुरक्षा कर्मियों को तीन महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है, साथ ये भी जानकारी मिली है कि ठेका कंपनी द्वारा 2 से 3 महीने में एक बार ही वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी आउटसोर्स कर्मियों को बिना किसी अंतराल के नियमित रूप से हर महीने वेतन दिया जाए। साथ ही उन्होंने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि आउटसोर्स कर्मियों का जल्द से जल्द वेतन का भुगतान कराकर दोषी ठेका कंपनियों का ठेका निरस्त किया जाए।