एमपी की विद्युत कंपनियों से खत्म की जाए संविदा और आउटसोर्स प्रथा, की जाए सिर्फ नियमित भर्ती

अधिकारियों एवम् कर्मचारियों की बेतहाशा कमी से जूझ रही मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में अब नियमित पदों पर भर्ती किया जाना बेहद जरूरी हो गया है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के कंपनीकरण के बाद विगत 20-22 वर्षों में सरकार और कंपनी प्रबंधन ने नियमित कार्मिकों की भर्ती करने की बजाए संविदा और आउटसोर्स कार्मिकों की भर्ती को प्रमुखता दी, जिससे वर्तमान में परिस्थितियां विकट हो चुकी हैं। विद्युत कंपनियों में वर्तमान में जिस गति से नियमित कार्मिक (अधिकारी और कर्मचारी) सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उसे देखते हुए ऐसी संभावना नजर आ रही है कि आने वाले समय में कंपनी मुख्यालय से लेकर सर्किल मुख्यालयों तक में पदस्थ करने के लिए अनुभवी नियमित अधिकारी नहीं मिलेंगे। वहीं मैदानी स्तर पर भी नियमानुसार करंट का कार्य करने का अधिकार रखने वाले नियमित अनुभवी तकनीकी कर्मचारी भी नहीं होंगे।

मप्रविमं तकनीक कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि कंपनी प्रबंधन विद्युत अधिकारियों एवम् कर्मचारियों के पदों पर नियमित भर्ती करने की बजाए अभी भी संविदा और आउटसोर्स के माध्यम से ही भर्ती कर रहा है, जबकि विद्युत कंपनियों में कार्य करने की परिस्थितियां को देखते हुए ये प्रथा बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैदानी इलाकों में तैनात तकनीकी कर्मचारियों का कार्य बहुत ही जोखिमपूर्ण होता है। जिसे देखते हुए आउटसोर्स कर्मियों से नियम विरुद्ध करंट का कार्य न कराते हुए विद्युत कंपनियों के सभी 30 हजार आउटसोर्स कर्मियों का कंपनी में संविलियन करने के बाद ही उनसे जोखिमपूर्ण कार्य कराया जाए। उन्होंने कहा कि विद्युत कंपनियों में कार्यरत और अनुभवी हो चुके संविदा अधिकारियों व कर्मचारियों का नियमितीकरण करने के साथ ही आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन किया जाए और भविष्य में होने वाली सभी नियुक्तियां नियमित की जाए।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि विगत दिनों ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित कर आउटसोर्स के माध्यम से विद्युत कंपनियों में कार्य कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। जबकि ये सर्वविदित है कि विद्युत अधिनियम के अनुसार विद्युत उपकरणों और बिजली के खंबो पर चढ़कर करंट कार्य करने का अधिकार सिर्फ नियमित तकनीकी कर्मचारियों को हैं। नियमानुसार संविदा कर्मचारी भी करंट का कार्य नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में विद्युत कंपनियों में केवल आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति किया जाने भविष्य के लिए नुकसानदेह साबित होगा। इसके अलावा विगत कई वर्षों से नियमित कर्मचारियों की नई भर्ती नहीं होने से मैदानी स्तर पर विद्युत तंत्र को जानने-समझने वाले अनुभवी नियमित तकनीकी कर्मचारियों की बेतहाशा कमी हो चुकी है। इसलिए प्रदेश की विद्युत कंपनियों में नियमित तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती किया जाना अत्यंत आवश्यक है, नहीं तो आने वाले समय में विद्युत तंत्र को चलायमान रखना काफी दुष्कर हो जाएगा।

साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो आउटसोर्स कर्मी विद्युत कंपनियों में कार्यरत हैं, उनका बहुत शोषण हो रहा है। खासकर उनसे नियमविरुद्ध कार्य कराए जाने के दौरान अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो विद्युत कंपनी प्रबंधन द्वारा अपना कर्मचारी मानने से इंकार करते हुए उपचार नहीं कराया जाता, वहीं ठेका कंपनी भी किसी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराती, ऐसी स्थिति में आउटसोर्स कर्मचारी के परिजनों को मजबूरीवश कर्ज लेकर उपचार कराना पड़ता है। चूंकि विद्युत कंपनियों में नियमित अनुभवी कर्मियों की बेतहाशा कमी हैं, तो ऐसी स्थिति में अनेक वर्षों से कार्यरत और अनुभवी आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन कर नियमित कर्मचारियों की कमी को तत्काल पूरा किया जा सकता है।