एक व्यक्ति का आखिरी समय निकट आ गया था। एक दिन जब वह रेगिस्तानी रास्ते पर जा रहा था उस समय उसके पास यमदूत आया। यमदूत को वह व्यक्ति पहचान न सका। क्योंकि वह देखने में अच्छा आदमी लग रहा था इसीलिए उसने यमदूत को पानी पिलाया। उसके बाद उस व्यक्ति ने यमदूत से पूछा, ‘तुम कौन हो? मेरे पास क्यों आए हो?’
यह सुनकर यमदूत बोला, ‘मैं यमदूत हूं और मृत्यु लोक से तुम्हारे प्राण लेने आया हूं। तुमने मुझे पानी पिलाया और तुम मुझे अच्छे आदमी लगे, इसीलिए मैं तुम्हें यह भाग्य की पुस्तक देता हूं। तुम इसे खोल कर अपना भाग्य बदल सकते हो। लेकिन याद रखना, इसके लिए तुम्हें केवल 5 मिनट का ही समय मिलेगा।’
यमदूत ने एक अजीब सी पुस्तक उसको दे दी।
पुस्तक लेते ही उसकी आंखों में एक चमक सी आ गई उस व्यक्ति ने पुस्तक पलटी तो सबसे पहले उसके पड़ोसी का पन्ना खुल गया। उसे उस पन्ने पर अपने पड़ोसी का जीवन दिखाई दिया। उसका खुशहाल जीवन देखकर वह ईर्ष्या से भर गया। उसने तुरंत अपनी कलम निकाली और उसके भाग्य को जितना बिगाड़ सकता था उतना उसने बिगाड़ दिया। यही काम उसने अपने अन्य पड़ोसियों के पन्नों पर भी कर दिया। ऐसा करते हुए उसे समय का भी पता नहीं चला। जब अंत में वह अपने जीवन के पन्ने तक पहुंचा। उसमें उसे अपनी मौत अगले ही पल आती दिखाई दी। इससे पहले कि वह अपने जीवन में कोई फेरबदल कर पाता, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया। क्योंकि उसे यमदूत से मिले 5 मिनट पूरे हो चुके थे। उस व्यक्ति के प्राण पखेरू उसके शरीर रूपी पिंजरे से उड़ चुके थे।
स्वार्थ ईर्ष्या एवं अहंकार मनुष्य के मन में बसा ऐसा शत्रु है जो एक दिन उसके स्वयं के विनाश का कारण बनता है।
सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश