मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे एवं जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने आरोप लगाते हुए बताया कि पंडित विष्णुदत्त शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिहोरा के प्राचार्य को 3-4 वर्षों से बीईओ के पद पर संलग्न करना मप्र सरकार के आदेश का खुला उलंघन है। शासन के आदेशानुसार संलग्नीकरण नहीं किया जाना है, फिर भी प्राचार्य को बीईओ का प्रभार दिया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है, बीईओ की अफसरशाही का आलम यह है कि बीईओ के द्वारा कार्यालय के कम्प्यूटर कर्मी को अलग कर भृत्य से कार्यालय बंद होने के पश्चात कार्य करवाया जा रहा है, लेकिन वेतन वरिष्ठ पद का नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने कहा कि 147 प्रायमरी स्कूल, 85 माध्यमिक शासकीय शालाएँ तथा 13 हायर और हाई स्कूल जो 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर है, यहाँ की देख-रेख शासन की मंशा के अनुसार नहीं हो पा रही है। अपने मूल स्थान पर भी प्राचार्य का कार्यभार नही देख पा रहे है। विकास खंड शिक्षा अधिकारी सिहोरा कार्यालय में रिश्ते दारों,चहेतों का अवैध कब्जा बना रहता है।
दोहरे चार्ज के कारण कर्मचारियों से खुलेआम घूसखोरी की जा रही है, सरकारी स्टेशनरी की खरीदी, कंप्यूटर के कार्य अपने सिहोरा के रिश्तेदारों की दुकानों से कर रहे है। कर्मचारियों की पासबुकें, सर्विस बुकों में सत्यापन, वेतन से काटी गई राशि की प्रविष्टि भी नहीं की गई है। आहरण अधिकार होने के कारण एरियर्स, तनखाह, अग्रिमों की निकासी के देयक समय पर सिहोरा कोषालय नहीं भेजे जा रहे हैं। दोहरे प्रभार के कारण 20 कर्मचारियों का स्टाफ भी प्राचार्य विहीन शाला से नदारत रहता है। बच्चों की पढ़ाई से भी खिलवाड़ हो रहा है।
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय, यू एस करोसिया, संजय गुजराल, रविकांत दहायत, नरेश शुक्ला, प्रशांत सोधिया, संतोष मिश्रा, योगेश चौधरी, राजेन्द्र तेकाम, विश्वदीप पटेरिया, देव दोनेरिया, एस के बांदिल, धीरेंद्र सिंह, मुकेश मराकाम, प्रदीप पटेल, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश चतुर्जी, अजय दुबे, संदीप नेमा, चंदू जाऊलकर, मंसूर वेग, ए के प्यासी ने सिहोरा बीईओ को हटाकर नियमित बीईओ की पद स्थापना करने की माँग की है। जिससे कर्मचारियों का शोषण बंद हो सके।