मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ बंटवारे के बाद से आज 20 साल से एमपी की बिजली कंपनियों के तकनीकी कर्मचारियों को फ्रिंज बेनिफिट नहीं दिया गया है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2000 में जब मध्य प्रदेश विद्युत मंडल हुआ करता था, उस समय पूरे प्रदेश का राजस्व संग्रहण प्रतिमाह लगभग 260 करोड़ रुपए हुआ करता था, इसके बावजूद उस समय तकनीकी कर्मचारियों को फ्रिंज बेनिफिट की सारी सुविधाएं दी जाती थी।
उस दौरान फेस्टिवल एडवांस, ग्रैंड एडवांस, एलटीसी लीव, सिलेंडर सिटी अलाउंस आदि दिए जाते थे। वर्ष 2000 के बाद मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का बंटवारा होने के बाद से ही फ्रिंज बेनिफिट भी बंद कर दिए गए। आज वर्तमान में तीनों वितरण कंपनियों में हर माह लगभग 15 सौ करोड़ रुपए का राजस्व संग्रहण प्रतिमाह हो रहा है, उसके बाद भी तकनीकी कर्मचारियों को फ्रिंज बेनिफिट की सुविधा नहीं दी जा रही है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, राजेश यादव, पीके मिश्रा, टी डेविड, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवार, लखन सिंह राजपूत, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, नीरज पटेल, अमीन अंसारी, हीरेंद्र रोहिताश, हरि भजन आदि के द्वारा मध्यप्रदेश शासन एवं कंपनी प्रबंधकों से मांग की गई है कि 20 वर्षों से जो फ्रिंज बेनिफिट तकनीकी कर्मचारियों को नहीं दिया जा रहा है, उसे देने का आदेश तत्काल जारी किया जाए।