नीति आयोग ने आज 11 अप्रैल को नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक-राउंड-1 का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके सारस्वत, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, आलोक कुमार सचिव विद्युत मंत्रालय एवं अपर सचिव (ऊर्जा), नीति आयोग इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे।
अपर सचिव डॉ राकेश सरवाल ने रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष प्रस्तुत किए। राज्य, ऊर्जा और जलवायु सूचकांक (एसईसीआई) राउंड-1 में राज्यों के प्रदर्शन को 6 मापदंडों में कार्य प्रदर्शन अर्थात् (1) डिस्कॉम का प्रदर्शन (2) ऊर्जा की पहुंच, सामर्थ्य और विश्वसनीयता (3) स्वच्छ ऊर्जा पहल (4) ऊर्जा दक्षता (5) पर्यावरण में स्थिरता और (6) नई पहल, के आधार पर रैंक दिया गया है। इन मापदंडों को आगे 27 संकेतकों में विभाजित किया गया है। समग्र एसईसीआई राउंड-1 स्कोर के आधार पर, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तीन समूहों फ्रंट रनर, अचीवर्स और एस्पिरेंट्स में वर्गीकृत किया गया है।
राज्यों को आकार और भौगोलिक अंतर के आधार पर बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। गुजरात, केरल और पंजाब को बड़े राज्यों की श्रेणी में शीर्ष तीन प्रदर्शनकर्ताओं के रूप में स्थान दिया गया है। गोवा, छोटे राज्यों की श्रेणी में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में उभरा है, इसके बाद त्रिपुरा और मणिपुर का स्थान है।
केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली, दमन और दीव/दादरा और नगर हवेली शीर्ष प्रदर्शनकर्ता हैं। विस्तृत राज्य प्रोफाइल और स्कोरकार्ड को रिपोर्ट में शामिल किया गया है, यह विभिन्न मानकों पर प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के प्रदर्शन का व्यापक स्नैपशॉट उपलब्ध कराती है।
रिपोर्ट के इस संस्करण से पता चलता है कि राज्य स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे आंकड़ों का पता लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करने की जरूरत है ताकि इन्हें रिपोर्ट के भविष्य के संस्करणों में शामिल किया जा सके।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा कि सीओपी-26, ग्लासगो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित ‘पंचामृत’ के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में हमारे प्रयासों को एक जन आंदोलन के रूप में बदलने की आवश्यकता है। ऐसा करने के लिए राज्यों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है। राज्यों द्वारा शासन नवाचार और परस्पर सीखने के कार्यों को लम्बा रास्ता तय करना है, तभी परिणामों में सुधार होगा और एसईसीआई राउंड-1 इस दिशा में बढ़ाया सही कदम है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके सारस्वत ने कहा कि ऊर्जा और जलवायु संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल और साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह कहा कि हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद इस रिपोर्ट में राज्यों के प्रदर्शन का पता लगाने और उन्हें रैंक प्रदान करने के लिए कुछ प्रमुख मापदंडों की पहचान की गई है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु अनुकूल नीतिगत माहौल बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य, ऊर्जा एवं जलवायु सूचकांक राउंड-1 ऊर्जा क्षेत्र के बारे में राज्यों के साथ बातचीत शुरू करने में मदद करेगा ताकि आवश्यक नीतिगत सुधार किए जा सकें।
सचिव विद्युत आलोक कुमार ने राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक के साथ आने के लिए नीति आयोग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया। डिस्कॉम की भूमिका सर्वोपरि है और उनकी व्यवहार्यता महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि उन नियामक परिसंपत्तियों को समाप्त करने की जरूरत है, जो डिस्कॉम को अव्यवहार्य बना रही है।