मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत ठेकेदारों द्वारा अपने कर्मियों के साथ क्रूरता की हदें पार करते हुए हिटलर को मात दी जा रही है। बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन ने बताया कि मप्र में रेगुलर व नियमित कर्मचारी केन्द्र शासन के बराबर 7वाँ वेतनमान पा रहे हैं, पर मप्र के करीब ढाई लाख आउटसोर्स ठेकाकर्मी केन्द्र शासन के ठेका कर्मियों की तुलना में उनसे आधा वेतन ही पा रहे हैं।
वहीं न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत मप्र के ठेका कर्मियों का जो न्यूनतम वेतन 5 वर्ष में रिवाईज होना चाहिए। इस बात से आक्रोशित आउटसोर्स ठेका कर्मी आगामी 1 मई को प्रत्येक जिले में अपने कार्यालय के बाहर इकट्ठे होकर आउटसोर्स आक्रोश दिवस मनायेगें और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन कलेक्टर व जनप्रतिनिधि विधायक व सांसदों को सौंपेगें।
बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं सह संयोजक दिनेश सिसोदिया एवं जिलाध्यक्ष सतीश साहू ने बताया कि आउटसोर्स ठेका कर्मी रिजर्व आर्मी ऑफ लेबर है, उन्हें लिविंग वेजेस मिलना चाहिए, लेकिन उन्हें प्रतिवर्ष सिर्फ 350 रुपये महंगाई भत्ते का झुनझुना पकड़ाया जा रहा है, जो कि ऊँट के मुंह में जीरा समान है।
ठेका कर्मी चाहते हैं कि सरकार ठेकेदारों की सल्तनत हटाए उन्हें ठेकेदारों की क्रूरता के कहर से मुक्त कराये और उन्हें विभागों से सीधा वेतन देकर आत्मनिर्भर बनाकर उनके प्रति करुणा बरसाये, ताकि होनहार ठेका कर्मी हताश होने से बचें। अन्यथा आगामी 1 मई को प्रदेश भर के सभी विभागों एवं बिजली कंपनियों के सभी आउटसोर्स ठेका कर्मी आक्रोश दिवस मनायेगें।