देश में बढ़ती बिजली की मांग और ताप विद्युत गृहों में कोयले के स्टॉक में कमी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है। जिसके चलते मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर आ रहा है और कई प्रदेशों में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। मध्य प्रदेश के ताप विद्युत गृहों में भी कोयले की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित कटौती का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने विदेश से कोयला आयात करने का निर्णय लिया है।
जानकारों के अनुसार ताप विद्युत गृहों में बिजली उत्पादन के लिए 8 गुना महंगा विदेशी कोयला 10 प्रतिशत तक मिलाने की अनुमति दी गई है, जिसके बाद प्रति यूनिट बिजली उत्पादन की लागत 75 पैसे के लगभग बढ़ जाएगी। साथ ही इसमें ट्रांसमिशन लॉस और वितरण कंपनियों लाइन लॉस जोड़ लें तो उपभोक्ताओं के घरों तक पहुंचने वाली बिजली लगभग 1 रुपए प्रति यूनिट महंगी हो जाएगी। विद्युत उत्पादन इकाई से उपभोक्ताओं के घरों तक बिजली पहुंचाने के बीच में लगभग 19 प्रतिशत का लाइन लॉस होता है।
वहीं प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने मप्र विद्युत नियामक आयोग में जो अनुमानित टैरिफ याचिका दायर की गई थी, उसमें ताप विद्युत गृहों में शत-प्रतिशत देशी कोयला उपयोग करने का उल्लेख किया था। देशी कोयला दो से ढाई रुपए प्रति किलो की दर पर मिलता है। जबकि विदेशी कोयला 16 रुपए प्रति किलो की दर से मिलेगा। कीमतों में 8 गुना अंतर होने का सीधा असर महंगी बिजली के रूप में उपभोक्ताओं पर होगा। वहीं इस अंतर की भरपाई वितरण कंपनियां बाद में ट्रू-अप याचिका के माध्यम से करेंगी और इसकी भरपाई बिजली की दर बढ़ाकर होगी।
प्रदेश में रबी सीजन में डिमांड अधिक होने को लेकर जनरेशन कंपनी ने विदेशी कोयला खरीदने का टेंडर निकाला है। 10 प्रतिशत अनुमति के आधार पर वह 19 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीद सकती है। पावर जनरेशन कंपनी के एमडी मनजीत सिंह के अनुसार पहले चरण में 7.50 टन विदेशी कोयला खरीदने का टेंडर जारी हुआ है। 19 मई को टेंडर खुलेगा। इसमें 100 प्रतिशत बढ़ाने का प्रावधान है। मतलब जरूरत पड़ने पर तय टेंडर के मुताबिक जनरेशन कंपनी 15 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीद सकती है। इससे अधिक जरूरत पड़ने पर दूसरा टेंडर निकालना पड़ेगा।
बिजली मामलों के जानकार एवं रिटायर इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल के अनुसार मप्र विद्युत नियामक आयोग के उत्पादन टैरिफ रेग्युलेशन 2020 की कंडिका 43.3 के अनुसार मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी को 30 प्रतिशत से अधिक महंगे कोयले से बिजली उत्पादन के पहले वितरण कंपनियों और होल्डिंग कंपनी मप्र पावर मेनेजमेंट कंपनी से परामर्श लेना जरूरी है, जो कि नहीं लिया गया है। बावजूद कोयला आयात करने के टेंडर जारी कर दिए गए हैं। महंगा कोयला खरीदने के लिए वित्त की व्यवस्था के क्या प्रावधान हैं, इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है।
राजेंद्र अग्रवाल के अनुसार विदेशों से आने वाला कोयला न्यूनतम परिवहन समेत 15 हजार से 20 हजार रुपये मीट्रिक टन होगा। इसमें 10 प्रतिशत सम्मिश्रण पर मौजूदा कोयले की दर 4000 से 6000 हजार रुपए मीट्रिक टन हो जाएगी। इससे प्रति यूनिट बिजली उत्पादन की लागत 75 पैसे से एक रुपए तक बढ़ जाएगी। हालांकि इसके बचाव में प्रदेश के प्रमुख ऊर्जा सचिव संजय दुबे ने मंथन कार्यक्रम में कहा था कि अभी पूरे देश में कोल संकट है। बिजली की कमी है। या तो हम 12 रुपए प्रति यूनिट महंगी बिजली खरीद कर प्रदेश के लोगों को दें या फिर विदेशी कोयला खरीद कर 25-30 पैसे प्रति यूनिट का भार बढ़ाएं। इसमें बेहतर विकल्प विदेशी कोयला का था, तो उसे अपनाया जा रहा है।
विदेशी कोयला मिलाने से तकनीकी दिक्कत भी आने की बात कही जा रही है। इसका कारण है कि प्रदेश की सरकारी बिजली घरों का बॉयलर की बनावट देश में उत्पादित कोयले के अनुसार है। देशी कोयले का ताप 3000 से 3500 किलो कैलोरी का है। जबकि विदेशी कोयले का ताप 5000 से 5500 किलो कैलोरी है। देशी कोयले से 30 से 40 प्रतिशत राखड़ निकलती है, जबकि विदेशी कोयले से 10 प्रतिशत के लगभग राखड़ निकलता है। अधिक कैलोरी के ताप से बिजली बनाने वाले बॉयलर को कैसे नियंत्रित करेंगे, ये बड़ा सवाल होगा। लीकेज का खतरा बढ़ सकता है।
प्रति यूनिट बिजली उत्पादन पर कोल की खपत और लागत
अमरकंटक ताप विद्युत गृह 562 ग्राम 1.28 रुपए
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह 641 ग्राम 2.29 रुपए
बिरसिंहपुर ताप विद्युत गृह यूनिट– एक एवं दो 721 ग्राम 2.39 रुपए
बिरसिंहपुर ताप विद्युत गृह यूनिट– तीन 631 ग्राम 1.92 रुपए
श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह यूनिट-एक 642 ग्राम 3.12 रुपये
श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह यूनिट-दो 620 ग्राम 3.57 रुपये