एमपी में इलाज नहीं करा पा रहा कर्मचारी, मंहगाई व आवास भत्ते के साथ अधर में लटकी मुख्यमंत्री स्वास्थ बीमा योजना

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिला संरक्षक योगेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय ने लंबित महंगाई भत्ता, आवास भत्ता और  मुख्यमंत्री स्वास्थ बीमा योजना का लाभ, लिपिकों की वेतन विसंगति का सुधार रमेश चंद शर्मा आयोग की अनुशंसा के अनुसार आचार संहिता लगने के पहले आदेश जारी करने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम का माँग पत्र जबलपुर तहसीलदार श्रीमति स्वाति सूंर्या के माध्यम से प्रेषित किया।

मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने मध्य प्रदेश शासन के मंत्री परिषद के आदेश दिनॉक 4/1/2020 के अनुसार चिकित्सा लाभ दिये जाने का पत्र विगत दिनों मुख्यमंत्री को दिया है। प्रशासकीय स्तर पर आदेश जारी ना होने के कारण यह लाभ नहीं दिये जा रहे है। केन्द्रीय कर्मचारियों को जनवरी 2022 से 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाना है, लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को यह भत्ता नहीं दिया जा रहा है। प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिमाह करीबन 15 सौ रुपये कम वेतन मिल रहा है।

संयुक्त मोर्चा पदाधिकारियों ने बताया कि निजी अस्पतालों में सरकारी खर्चे पर इलाज की सुविधा ना होने के कारण इलाज के अभाव में कर्मचारी और उसके परिजन बेमौत मर रहे है। सरकारी कर्मी होने के कारण भारत सरकार की आयुस मान योजना के तहत 5 लाख तक के नि:शुल्क इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही है।

केन्द्रीय कर्मचारियों को करीबन 7 से 10 हजार रुपए प्रति माह आवास भत्ता दिया जा रहा है। वहीं प्रदेश के कर्मचारियों को 15 वर्ष पूर्व दिया जाने वाला आवास भत्ता 7 सौ से 15 सौ रुपए प्रति माह दिया जा रहा है। जबकि दोनों कर्मचारी एक ही शहर में रह रहे हैं।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय, यूएस करोसिया, संजय यादव, चटरु पहलवान, संतोष दुबे, अर्जुन सोमवंसी, रवि बांगड, विश्वदीप पटैरिया, देव दोनेरिया, प्रशांत सोंधिया, नरेश शुक्ला, रविकांत दहायत, गोविंद विलथरे ने कर्मचारियों को चुनाव आचार संहिता लगने से पहले महंगाई भत्ता, आवास भत्ता, स्वास्थ बीमा योजना का लाभ, लिपिकों की वेतन विसंगति का सुधारने के आदेश जारी कर कर्मचारियों को समस्त लाभ दिये जाने की मांग की है।