संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों को झटका: बिजली कंपनी की दो टूक, नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं

एमपी की विद्युत वितरण कंपनी ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि कंपनी में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों के संविलियन का फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है। बिजली कंपनी के इस जवाब से नियमितिकरण और संविलियन की राह देख रहे बिजली विभाग के हजारों संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को बड़ा झटका लगा है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि ऊर्जा विभाग से आए पत्रों पर पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से आरटीआई के माध्यम से ली गई जानकारी से पता चला की ऊर्जा मंत्री के पत्र पर कार्यवाही ही नहीं की गई है।

जबलपुर मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के द्वारा ऊर्जा विभाग को दो पत्र लिखे गए-

  • तकनीकी कर्मचारियों की लंबित समस्याओं के निराकरण करने बाबत,
  • समानता का अधिकार 

संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के द्वारा ऊर्जा विभाग को दो पत्र लिखे गए थे, जिस पर तकनीकी कर्मचारियों की लंबित समस्या जैसे- विद्युत मंडल में सेवा के दौरान मृत हुए कर्मियों के परिवार के एक सदस्य को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए, सभी कंपनियों में आउट सोर्स के कर्मियों का संविलियन किया जाए एवं समानता का अधिकार, जिसमें अधिकारियों एवं बाबुओं से 5 दिन कार्य कराया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नियमित, संविदा कर्मी एवं आउट सोर्स तकनीकी कर्मचारियों से 6 एवं 7 दिन कार्य कराने के बाद सातवें दिन अवकाश दिया जाता है, उससे भी उन्हें वंचित रखा जा रहा है।

दोनों प्रश्नों के उत्तर देने के लिए ऊर्जा विभाग के द्वारा पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं पूर्व क्षेत्र कंपनी को पत्र लिखकर अवगत कराया गया एवं साथ ही संघ के प्रांतीय महासचिव को भी प्रतिलिपि देकर अवगत कराया गया। संघ के द्वारा दोनों पत्रों पर जानकारी मांगी गई तो पावर मैनेजमेंट कंपनी के द्वारा जवाब देने की बजाए नियम बता कर फाइल बंद कर दी गई।

इसके पश्चात पावर मैनेजमेंट कंपनी से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि तकनीकी कर्मचारियों की लंबित समस्याओं के निराकरण के संबंध में मप्र विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के मांगपत्र के संबंध में जानकारी निम्नानुसार है-

  • कंपनी के कार्य की आवश्यकतानुसार ऑनलाईन निविदा जारी कर निश्चित समय अवधि के लिए विभागीय शर्तों एवं नियमों के अनुसार आउटसोर्स कार्मिकों की आपूर्ति बाह्यस्त्रोत प्रदाता के माध्यम से ली जाती है। नियमों में आउटसोर्स कार्मिकों का कंपनियों में संविलियन किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • कंपनी में प्रभावशील संविदा नीति के अर्न्तगत संविदा कार्मिकों के नियमितीकरण का प्रावधान नहीं है, अपितु चिन्हित पदों की सीधी भर्ती में निश्चित प्रतिशत का आरक्षण प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
  • वर्तमान में कंपनी में प्रभावशील अनुकंपा नियुक्ति नीति 2018 के प्रावधानों के अनुसार पूर्ववर्ती मप्ररावि मंडल के ऐसे कार्मिक जो राज्य शासन की अधिसूचना दिनांक 10.04.2012 के द्वारा एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी में अंतिम रूप से आंतरित एवं आमेलित हुए हैं, की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों के अनुकंपा नियुक्ति आवेदनों पर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। अनुकंपा नीति में दिनांक 15.11.2000 से 10.04.2012 के मध्य कार्य के दौरान विद्यत दुर्घटना से मृत्यु के प्रकरणों को भी शामिल किया गया है।

वहीं हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व क्षेत्र कंपनी के द्वारा समानता का अधिकार पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई। जैसा कि हमारे देश के विभागों में अनेक समस्याएं होती हैं, इसके निराकरण करने हेतु शासन प्रशासन एवं विभाग के कर्मचारियों द्वारा या कर्मचारी संगठनों द्वारा उल्लेख किया जाता है एवं उनकी समस्याओं के निराकरण की अपील एवं निवेदन किया जाता है, लेकिन जब कोई शासन-प्रशासन उनकी समस्याओं का निराकरण करने में असमर्थ होता है, जो नियम संविधान में नहीं होता।

इस हेतु जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि जो विभागों के मंत्री एवं संचालक होते हैं, को लेख किया जाता है। उन से निवेदन किया जाता है कि जनहित में इन समस्याओं का निराकरण किया जाए। जहां पर मंत्री या जनप्रतिनिधि के द्वारा संबंधित विभाग को समस्याएं प्रेषित तो कर दी जाती हैं, लेकिन विभाग द्वारा इन समस्याओं का निराकरण ना कर कानूनी बंधनों को बता कर फाइल बंद कर दी जाती है।

ऐसी स्थिति में किससे गुहार लगाई जाए। अभी मंत्री के पत्रों का निराकरण कर दिया गया, जिसके अनुसार किसी भी समस्या का कोई भी हल नहीं निकला। ऐसी स्थिति में क्या करें जनता कहां गया लोकतंत्र फिर जनता क्यों सरकार चुनती हैं, जब सब कुछ शासन, प्रशासन और विभाग को ही करना है,। तकनीकी कर्मचारी संघ ऊर्जा विभाग एवं मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनी प्रबंधकों से मांग करता है की संघ द्वारा दिए गए मांग पत्रों पर कार्यवाही की जाए।