मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि केन्द्रीय कर्मचारियों को जनवरी 2022 से 3 प्रतिशत मंहगाई भत्ता दिया गया है, जबकि प्रदेश के कर्मचारियों को यह मंहगाई भत्ता नहीं दिया गया है, इससे प्रत्येक कर्मचारियों को प्रतिमाह 1500 रुपए कम वेतन प्राप्त हो रहा है।
संघ ने कहा कि वर्तमान समय में जहां चारों ओर मंहगाई का बोलबाला है और कर्मचारियों में आचार संहिता लगने से गहन रोष व्याप्त है। खाने पीने की सभी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं, चाहे वो बिजली का बिल हो या खाने की सब्जी या खाद्य तेल। केन्द्र के कर्मचारियों को 3 प्रतिशत मंहगाई भत्ता पूर्व में दिया जा चुका है, परंतु मप्र के कर्मचारी इस मंहगाई भत्ते से वंचित हैं।
संघ ने कहा कि मप्र के कर्मचारी शासन की रीढ़ की हड्डी हैं, अगर यही कमजोर होगी तो शासन का कार्य कौन करेगा। मंहगाई भत्ते की घोषणा न होने से मप्र के कर्मचारियों में शासन के प्रति भारी आकोश व्याप्त है। जहां परिवार एक ओर आर्थिक कठिनाईयों का सामना कर रहा है, वहीं केन्द्र एवं राज्य सरकार के बीच राज्य के कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता न देकर दोहरी नीति अपनाई जा रही।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र सिंह राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, आशुतोष तिवारी, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, मनीष शुक्ला, मनीष लोहिया, अजय सिंह ठाकुर, राकेश उपाध्याय, मुकेश धनगर, राजेन्द्र कुरिरिया, सुरेन्द्र जैन, सुनील जैन, अमर सिंह लोधी, विवके तिवारी, श्याम नारायण तिवारी, विश्वास शर्मा, विनय नामदेव, पवन ताम्रकार, प्रियांशु शुक्ला, संतोष तिवारी, महेश कोरी, नितिन शर्मा आदि ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के पहले महंगाई भत्ता न मिलने से शासन के प्रति घोर निराशा व्याप्त है।