मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति मे बताया कि संयुक्त संचालक उद्यान कि हिटलशाही व नादिरशाही से कर्मचारियों मे रोष व्याप्त है। इनके द्वारा कार्यालय का उपस्थिति पंजीयन अपने पास रख लिया है, जिसके कारण कर्मचारियों कि उपस्थिति नहीं लग पा रही है, जबकि चुनाव पर अनुपस्थिति पर कलेक्टर द्वारा स्पष्ट मना किया गया है।
संभागीय कर्मचारियों को दिए जाने वाला समयमान वेतनमान का लाभ विगत 4 वर्षों से लंबित है। कई कर्मचारी बिना समय मान वेतनमान का लाभ प्राप्त किए सेवानिवृत्त हो रहे हैं। संभाग के कर्मचारियों की वर्ष 2019-20 के पश्चात कोई भी वरिष्ठता सूची जारी नहीं की गई है, ना ही कर्मचारियों को वरिष्ठता सूची प्रदान की गई है। अधिकारी द्वारा अपने कर्मचारियों की गोपनीय चरित्रावली भी नहीं लिखी जा रही है।
कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि इनके कार्यकाल में लगभग 7 अधिकारी व कर्मचारियों को जबरदस्ती निलंबित कर दिया गया था। जिनकी कार्यवाही उपरांत विभाग को बहाल करना पड़ा है। कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायतों के निराकरण हेतु इनके द्वारा किसी प्रकार की समिति नहीं बनाई गई है, जिससे कर्मचारी मजबूरन उच्च न्यायालय की शरण में जाने हेतु मजबूर हो रहा है। कार्यालय में पर्याप्त मात्रा में लिपिक होने के बावजूद इनके द्वारा अधिकारियों से कार्य कराया जाता है। उपस्थिति पंजी अपने पास रखने का उद्देश्य यह है कि ये कर्मचारियों से उपस्थिति के नाम पर भ्रष्टाचार कराना चाहते हैं।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, योगेन्द्र मिश्रा, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, संत कुमार चीपा, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, सीएन शुक्ला, सतीश देशमुख, रामकृष्ण तिवारी, श्याम नारायण तिवारी, मनीष लोहिया, मनीष शुक्ला, संतोष तिवारी, महेश कोरी, मो तारिक ने कमिश्नर से मांग कि है कि प्रभारी संयुक्त संचालक उद्यान द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की जांच की जावे ताकि कर्मचारियों को प्रताड़ना से मुक्ति मिल सके।