मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक पंडित योगेंद्र दुबे एवं जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है कि सरकारी कार्यालयों में चिकित्सा मद में खर्च किए गए पैसों को वापिस करने के चिकित्सा देयक नियमों और आवंटन का अभाव, मेडिकल बोर्ड का पुनः परीक्षण करवाने के नाम पर जमा नहीं किया जा रहा है। इलाज के बिलों को लेकर कर्मी कार्यालयों के अधिकारियों के चक्कर लगा रहे है।
अनेक अधिकारी और कर्मचारी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने में खर्च हुए बिल का भुगतान ना होने से भारी परेशान है, कर्ज लेकर इलाज तो करा लिया लेकिन नियमानुसार चिकित्सा दिया पारित कर उसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। भुगतान ना होने से कर्मचारियों को कर्जे से लिए पैसे का ब्याज चुकाने के लिए अपनी तनख्वाह से पैसे निकाल कर देना पड़ रहे हैं। यह कर्मचारी भारी आर्थिक रूप से परेशान है।
शासन का नियम होने एवं चिकित्सालय मेडिकल बोर्ड से स्वीकृत होने के पश्चात भी भुगतान के लिए कार्यालय में जमा न किया जाना शासन के आदेशों का खुला उल्लंघन दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश शासन जहां कर्मचारियों को चिकित्सा परिचर्या नियमों के अनुसार इलाज के लिए सुविधा उपलब्ध कराती है। वहीं शासन की छवि खराब करने वाले कुछ अधिकारी, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को यह लाभ न देकर शासन की छवि को खराब कर रहे हैं।
इलाज महंगा होने के कारण कुछ कर्मचारी और उनके परिजन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे है। कुछ विभागों में नियमित और कार्यभारित स्थापना के अनेक अधिकारी और कर्मचारी महंगी जाँच, डॉक्टर फीस इलाज करवाने के पश्चात पछता रहे है। कर्मचारियों को अस्पतालों में भर्ती होने के पश्चात विभागों से इलाज एडवांस भी नहीं दिया जाता है,जबकि पुलिस विभाग, न्यायालयीन कर्मचारियों को किसी भी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा दी जा रही है। तृतीय, चतुर्थ श्रेणी और अल्प आय वाले कर्मचारियों को मंहगे इलाज होने के कारण भारी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। फिर भी रिंबर्स मेंट्र का लाभ ना मिलना उनके अधिकारों का हनन है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, देव दोनेरिया, विश्वदीप पटेरिया, नरेश शुक्ला, प्रसांत सोधिया, मुकेश चतुवेर्दी, सन्तोष मिश्रा, संजय गुजराल, रविकांत दहायत,अजय दुबे, एसके वांदिल, योगेश चौधरी, योगेन्द्र मिश्रा, मनीष लोहिया, धीरेंद्र सिंह, प्रदीप पटैल, मुकेश मरकाम, विपिन शर्मा, सुरेंद्र जैन, ब्रजेश तिवारी, मनीष शुक्ला ने चिकित्सा देयकों को रिम्बर्समेंट के लिए कार्यालयों में जमा न करने वाले कार्यालय प्रमुखों की कड़ी निंदा करते हुए नियमानुसार इलाज के देयकों का भुगतान करने की मांग की है।