एमपी सरकार की यात्रा भत्ता नीति से हो रहा भारी आर्थिक नुकसान, वेतन के साथ दिया जाए टीए

मध्य प्रदेश के लाखों अधिकारी एवं कर्मचारियों को टीए का भुगतान नही होने से आर्थिक नुकसान हो रहा एवं शासन अपना करोडो रूपये टीए का बचा रही है। इसमें द्वितीय श्रेणी अधिकारी एवं तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जो कम्प्यूटर चलाना नहीं जानते हैं, उन्हें भी यात्रा भत्ता भुगतान प्राप्ति के लिए आनलाईन आवेदन करना पड़ता है। यात्रा भत्ता की राशि कर्मचारियों एवं अधिकारियों को प्रतिमाह मिलने वाले मूलवेतन अनुसार वेतन में जोड़कर दी जाये।

जागरूक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय कल्याण समिति ने जारी विज्ञप्ति मे बताया कि कर्मचारी शासकीय कार्य हेतु आवागमन तो कर रहा है और प्रतिदिन अपने फील्डक्षेत्र में भ्रमण कर रहा है, जिससे उसे रेल बस और स्वयं की गाड़ी में जाना पड़ता है, जिसका भुगतान स्वयं के पैसों से करना पड़ता है, परंतु उसे IFMIS सॉफ्टवेयर की जटिलता के कारण शासन से टीए बिल का पैसा नहीं मिल पाता है। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिससे विभाग के कर्मचारियों में अत्यंत रोष व्याप्त है। 

संघ के उदित भदौरिया, अर्वेन्द्र राजपूत, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, सीएन शुक्ला, वीरेन्द्र तिवारी, श्यामनारायण तिवारी, घनश्याम पटेल, अजय दुबे, चूरामन गूजर, संदीप चौबे, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, निशांक तिवारी, नवीन यादव, अशोक मेहरा, सतीश देशमुख, रमेश काम्बले, पंकज जायसवाल, प्रीतोष तारे, शैलेन्द्र दुबे, शेरसिंह, मनोज सिंह, अभिषेक वर्मा, वीरेन्द्र पटेल, रामकृष्ण तिवारी, रितुराज गुप्ता, अमित गौतम, अनिल दुबे, अतुल पाण्डे, संतोष तिवारी, धीरेन्द्र सोनी, मो तारिक, कमलेश साहू आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ईमेल कर मांग की है कि राज्य के कर्मचारियों को आफलाईन टीए का भुगतान किया जाये एवं मूल वेतन में ही प्रतिमाह यात्रा भत्ता की राशि जोड़कर वेतन प्रदान किया जाये।