मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 प्रस्तुत बजट में राज्य कर्मचारी 10 लाख यह अपेक्षा कर रहे थे, पडोसी राज्यों के राजस्थान, छत्तीसगढ की सरकारों का अनुसरण करते हुए राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना 31 दिसंबर 2004 की स्थिति में पुनः लागू करेगी, किन्तु बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इसी प्रकार सातवें वेतनमान अनुसार मकान भाड़ा भत्ता, यात्रा भत्ता, वाहन भत्ता में कोई बढ़ोत्तरी तथा कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करना, कोरोना काल के महंगाई भत्ता एरियर्स का कोई प्रावधान नहीं है, पेंशनरों के मंहगाई भत्ते का कोई प्रावधान नहीं है, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वृत्तिकर से मुक्त रखने जैसी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों का कोई उल्लेख नहीं है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने कहा कि निर्धन से निर्धन व्यक्ति को निजी अस्पतालों में इलाज हेतु आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है, किन्तु कर्मचारियों को इससे भी वंचित रखा गया है। शासकीय कर्मचारियों के लिए न तो स्वास्थ्य बीमा योजना लागू हो रही है और न ही आयुष्मान कार्ड का लाभ मिल रहा है। प्रथम दृष्टया राज्य सरकार का यह बजट 2023-24 से प्रदेश के कर्मचारियों के लिए निराशा लेकर आया है। जिससे प्रदेश के निगम, मण्डल, अनुदान प्राप्त संस्था लगभग 10 लाख कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मिर्जा मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, मनोज सेन, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, संदीप नेमा, सुदेश श्रीवास्तव, पंकज शर्मा, आर. के. गुलाटी, श्यामनारायण तिवारी, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, महेश कोरी, नितिन शर्मा, प्रणव साहू, राकेश पाण्डे, विनय नामदेव, प्रियांशु शुक्ला, आदित्य दीक्षित, विजय कोष्टी, अभिषेक मिश्रा, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, ब्रजेश गोस्वामी, संतोष तिवारी, पवन ताम्रकार आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कर्मचारी के साथ छलावा बन्द करते हुए ओपीएस योजना लागू की जाये, सातवें वेतनमान के अनुसार भत्तों का पुनः निर्धारित किये जाये, अन्यथा संघ राज्य व्यापी आन्दोलन हेतु बाध्य होगा।