नई दिल्ली के हिंदी भवन में आयोजित अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था के अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन में डॉ निशा अग्रवाल की पुस्तक ‘शिक्षा का बदलता स्वरूप’ का विमोचन किया गया। जयपुर निवासी डॉ निशा बाड़ी (धौलपुर) के जगदीश प्रसाद मंगल पिपरैट वाले की सुपुत्री है। ये एक शिक्षाविद होने के साथ साथ लेखिका, गायिका, कवयित्री, स्क्रिप्ट राइटर और एंकर हैं।
कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध कवि विजयकिशोर मानव की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मेरठ यूनिवर्सिटी से प्रो. (डॉ) नवीन चंद्र लोहनी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध वेदों एवं उपनिषदों की ज्ञाता डॉ मृदुल कीर्ति ऑस्ट्रेलिया से एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मृदुला बिहारी जयपुर से शामिल हुई। कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला, सह अध्यक्ष डॉ अमरनाथ अमर, महा सचिव चंदा प्रहलादका एवं अनेक विद्दवतजन मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में डॉ निशा अग्रवाल की ‘शिक्षा का बदलता स्वरूप’ पुस्तक का लोकार्पण समस्त विद्वतजनों के कर कमलों द्वारा हुआ।
डॉ निशा ने बताया कि उनकी इस पुस्तक को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को समयानुरूप शिक्षा के बदलते स्वरूप से रूबरू कराना है। इस पुस्तक की विषय वस्तु को चार इकाइयों में विभाजित किया गया है, जिसके अंतर्गत समयानुसार शिक्षा के बदलते स्वरूप का वर्णन किया गया है। प्राचीनकाल की शिक्षण पद्धति से लेकर आधुनिक काल और वर्तमान की शिक्षा प्रणाली का विस्तृत वर्णन किया गया है।
इस पुस्तक में शिक्षा के विशिष्ट परिशिष्ट को भी शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत डॉ निशा ने आज की युवा पीढ़ी की मानसिक स्थिति तथा तनाव में आकर हो रही आकस्मिक घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए इससे निवारण के उपायों पर भी प्रकाश डाला है। निःसंदेह यह पुस्तक शोधार्थियों एवं उन सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी जो देश के भावी अध्यापक बनने जा रहे हैं तथा उच्च शिक्षा को प्राप्त कर रहे है।