अंजना वर्मा
ई-102, रोहन इच्छा अपार्टमेंट
भोगनहल्ली, विद्या मंदिर स्कूल के पास
बेंगलुरू-560103
[email protected]
याद करो उनका जलना जब
मिले तुम्हें हरियाली
तुम करते रहते हो कितनी
लंबी-चौड़ी बातें
जो खटते-मरते रहते हैं
वे चुप ही रह जाते
हाथ-पैर ही धन है जिनका
झोपड़ियाँ हैं खाली
वातानुकूलित कमरे में
भरी हुई ऊर्जा है
उधर धूप में टूट रहा
उनका पुर्ज़ा-पुर्ज़ा है
भरे पेट क्या याद करेंगे
किसकी सूनी थाली?
नभ-छूती अट्टालिकाएँ
मेहनतकश गढ़ते हैं
गढ़कर खोह-कंदराओं में
गुजर-बसर करते हैं
कभी झाँकना उस तम में भी
कैसी थी दीवाली?
जो सारे कागज के नक्शों
को जीवित करते हैं
सुंदर चीजों के पीछे
धूमिल मुखड़े रहते हैं
इंद्रपुरी में रहकर ना
भूलो उनकी बदहाली