डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान
समाज सुधारक विधिवेत्ता की गाथा गाती हूं।
भारत के संविधान जनक की मैं कथा सुनाती हूं।।
जन्म हुआ एमपी के महू में, दलित वर्ग से ये थे।
जाति धर्म के भेदभाव के बीज सभी रोपित थे।।
अच्छी शिक्षा दिलवाने की मात पिता ने ठाना।
महू के विद्यालय में भीमा का दाखिला करवा डाला।।
दलित वर्ग से हो ये कहकर सबने कष्ट पहुंचाया।
विद्यालय की कक्षा में भी सबसे अलग बिठाया।।
साथ नहीं खाना खाओगे पानी भी अलग पिलाया।
ऐसी मानसिक यातनाओं ने उनका दिल दुखाया।।
कक्षा में भीमा हर बार प्रथम स्थान पर आया।
उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु उनको विदेश पहुंचाया।।
पीएचडी कर ली कोलंबिया और लंदन यूनिवर्सिटी से।
न्याय विधि को किया संकलित देश और विदेश से।।
विवाह हुए दो बार थे इनके रमाबाई पहली थी।
डॉ सविता अंबेडकर फिर बनी दूसरी पत्नी थीं।।
ऐसी चुनौतियों ने ही भीम को गुरु बनाया।
मसीहा बना गरीबों का और पिछड़ों को ख्वाब दिखाया।।
भेदभाव जाति शोषण कानून प्रतिबंध बनाया।
निम्न जाति की आंखों में सपना नया सजाया।।
रच डाला संविधान देश का अधिनियमित भी दे डाला।
जाति धर्म के मुद्दे पे देश को धर्मनिरपेक्ष बना डाला।।
अटूट ज्ञान का स्रोत थे ये और न्याय के पालक ये थे।
पत्रकार, दार्शनिक और लेखक शिक्षाविद भी ये थे।।
छुआछूत का रोग मिटाकर समता को दर्शाया।
निम्न वर्ग को भी शिक्षा का उच्च स्थान दिलाया।।
बुद्ध विचारों से प्रेरित हो बौद्ध धर्म अपनाया।
मानवता सद्भाव प्रेम का परचम भी लहराया।।
संविधान शिल्पकार, जनक इनका नाम कहलाया।
मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान इन्होंने पाया।।
बुद्धि विवेक से काम लिया वही विद्वान कहलाया।
रूढ़िवादिता को खत्म किया जो भीमराव कहलाया।।
नमन करें हम अग्रदूत को, समता के भाव प्रचारक को।
नाम तुम्हारा अमर रहेगा, भारत के युवा उद्धारक को।।