विश्व रक्तदाता दिवस: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

जब भी होती दुर्घटनाएं
मानव लहू लुहान हो जाता
रक्त का दरिया निकल शरीर से
सड़क पर यूं ही बहता जाता

कभी रोग लग जाते ऐसे
रक्त शरीर में कम हो जाता
चक्कर खाकर गिरता मानव
मिले रक्त जब चल पाता

जब आ जाता रक्षक कोई
कर्ण जैसा रक्त दाता कोई
कहता जान बचालो इसकी
मेरा रक्त इसे चढ़ा दो कोई

चढ़े रक्त जब मिले रक्त से
सांसें तब वापस आ जाती
जीवन का बस मोल बताकर
नव जीवन को पुलकित करती

रक्तदाता ही जीवन दाता
रक्त बैंक में जमा करवाता
पड़े जरूरत जब भी रक्त की
सभी ग्रुप का रक्त मिल जाता

रक्तदान से रक्त है बनता
रक्त संचरण नसों में रहता
ना ही होती कोई बीमारी
ना ही आती इससे कमजोरी

जब भी करनी हो जन सेवा
रक्तदान सब अवश्य कराएं
जीवन के इस महादान से
खुद को न कभी वंचित पाएं