डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान
जीवन के आधार तुम्ही हो
मेरे तो संसार तुम्ही हो
आदर्श भी तुम मेरे जीवन के
मेरे तो भगवान तुम्ही हो
रेगिस्तान में तुम तरुवर हो
कड़ी धूप में छांव तुम्ही हो
उम्मीद,आस, विश्वास तुम्ही से
संकट में पतवार तुम्ही हो
कोमल करुण ह्रदय तुम्ही हो
बच्चों की प्रेरणा भी तुम्ही हो
कठिन राह और कठिन घड़ी में
राहों के रहबर भी हो तुम्ही हो
अपने सारे कष्ट भुलाकर
बच्चों को सुख देते पापा
कंधे पर बच्चों को बिठाकर
दुनिया की सैर कराते पापा
सब रिश्तों में प्यारे तुम हो,
तुमसे ही तो शान है मेरी
मैं तुमसे ही जानी जाऊं,
मेरी तो पहचान तुम्ही हो
कठिन राह तुम सुगम बनाते
आगे बढ़ना तुम सिखलाते
आती मुश्किल हम पर कोई
हंस कर उसको सरल बनाते।
जीवन भर संघर्ष तुम करते
मरते दम तक खुशी लुटाते
सहज स्वभाव बड़ा मन रख कर
बच्चों की गलती, क्षमा तुम करते
सबकी खुशियों का, ध्यान तुम रखते
अपने लिए कभी न कुछ करते,
सबकी पूरी ख्वाहिश कर कर
खुद बिलकुल जर्जर हो जाते
शिराओं में रक्त बह रहा तुम्हारा
तुमसे ही जीवन है हमारा
रग रग से तुम वाकिफ मेरे
बिन बोले मन को पढ़ लेते
मेरी तो पहचान तुम्ही हो
मेरा तो अभिमान तुम्ही हो
सदा लिए मुस्कान लवों पर
बच्चों की मुस्कान तुम्ही हो
दुनिया में सबसे अच्छे मेरे पापा को समर्पित