डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान
प्रथम वंदना ईश को करती
वही तो भाग्य विधाता हैं
धरती मां पर भेजा सबको
सबके अंतर्मन ज्ञाता हैं
द्वितीय वंदन डॉक्टर को करती
जीवन रक्षक और दाता हैं
तन, मन, समय समर्पित करके
रोते मन को ये हंसाता है
घायल को मरहम ये देते
कर उपचार सांस लौटाते
रक्त प्लाज्मा ये ही चढ़ाते
हर शरीर का रोग भगाते
मौत के मुंह से बाहर निकालकर
हर इंसान की जान बचाते
जात धर्म का भेद न रखकर
गरीब अमीर का इलाज ये करते
कोई इलाज करे एक्युपंचर से
तो कोई करे एक्सरसाइज से
कोई योगा और नेचर से
तो कोई करे दवा, गोलियों से
रात दिन एक करके ये
डॉक्टर की पढ़ाई पढ़ते हैं
गुर्दा, जिगर हो या पैर हो
सबका प्रत्यारोपण करते हैं
ऐसे कर्मठ समाजसेवी ही
जीवन रक्षक कहलाते हैं
ईश के बाद ये जीवन देते
ये डॉक्टर कहलाते हैं