फागुन ले आया खुशियों के रंग
झूमे प्रकृति हवाओं के संग
फूल मुस्कुराते भँवरों के संग
उमंग भरी चली बसंती हवाएं
रक्तिम फूले उठे हैं पलाश
फाग के गीतों की मची है धूम
अबीर, गुलाल में रंगें सबके मन
नाच रहे हैं सारे रंगों में रंगकर
ढपली और मृदंग की थाप पर
थिरकता झूमता मनभाता फागुन
रंग-बिरंगे रंगों में रंग गया जीवन
प्रकृति का खिले हर एक कोना
फूलों का बिछा रंगीन बिछौना
रंगों की लेकर बहार है आया
लो रंग-रंगीला फागुन आया
रंग होली के साथ है लाया
गुलाल के रंग में रंगे हैं सारे
रंग-बिरंगे होते आँगन,गलियारे
प्रीत के अहसास से भीगे तन
हर्षित है आज हर किसी का मन
रंगों में रंगने को निकल पड़ी
ले पिचकारी सखियों की टोली
लो आया रंग-रंगीला फागुन
सब मिलकर खेलो लो आई होली
-अनुराधा चौहान