मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर की मौजूदगी में प्रदेश की बिजली कंपनियों में कार्यरत ब्लैकलिस्ट किए गए आउटसोर्स कर्मियों को 14 जुलाई को नौकरी पर वापस बहाल करने की घोषणा की थी। लेकिन खुद को सरकार और प्रबंधन से ऊपर समझने वाले बिजली अधिकारी लगातार सरकार के आदेश और घोषणाओं की अवहेलना कर रहे हैं, यही कारण है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के आज 15 दिन बीतने के बाद भी सभी 1028 आउटसोर्स कर्मियों की बहाली नहीं हो पाई है।
विद्युत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों बिजली अधिकारी पूरी तरह से ठेकेदारों के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि विभाग में आउटसोर्स के माध्यम से होने वाली सभी नियुक्तियों में भी जमकर लेनदेन हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों से सांठगांठ कर अधिकारी आउटसोर्स कर्मियों की बहाली के लिए भी पैसों की मांग कर रहे हैं, यहां तक की उन्हें मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के आदेशों और घोषणाओं की भी तनिक परवाह नहीं है और न ही डर। वहीं सरकार के गुड गवर्नेंस को धत्ता बताते हुए ठेकेदारों के माध्यम से होने वाली नई भर्तियों में पद के अनुसार रेट भी निर्धारित कर दिए गए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के विधानसभा चुनावों को कुछ महीने ही शेष बचे हैं, जिसे देखते हुए सरकार सभी वर्ग के कर्मचारियों के हित में घोषणा करते हुए अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी सरकार की छवि को बिगाड़ने में जुटे हुए हैं। वहीं घोषणाओं पर अमल नहीं होने से कर्मचारियों का आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार के आदेशों और घोषणाओं पर अमल न कर बेलगाम अधिकारी कहीं आगामी चुनाव में सरकार का भारी नुकसान न करा दें।
इस संबंध में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली अधिकारी मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के आदेश और घोषणा की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सरकार की घोषणा के बाद भी आज तक आउटसोर्स कर्मियों की बहाली नहीं हो पाई है, मैं तकनीकी कर्मचारी संघ की और से सभी कंपनी प्रबंधन से मांग करता हूं कि सभी ब्लैक लिस्टेड आउटसोर्स कर्मियों को यथाशीघ्र नौकरी पर वापस लिया जाए।