पिछले छः माह से बेकारी की मार झेल रहे बिजली आउटसोर्स आंदोलनकारी, आंदोलन से पहले जिन पदों व जिन स्थानों पर रेगुलर पदों के विरूद्ध तैनात थे, पदों की संख्या में वृद्धि कर उन्हें वापिस वहीं यथावत् रखा जाये, पर कई बिजली अधिकारी ऐसा नहीं कर उन्हें गृह स्थान से 10 से लेकर 30 किमी दूर पदस्थ कर रहे हैं।
मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव ने मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, प्रमुख सचिव ऊर्जा व प्रबंध संचालक को पत्र लिखकर कहा कि जिन 1088 बिजली आउटसोर्स ठेका कर्मियों को जनवरी-2023 आंदोलन के दौरान नौकरी से बिजली कंपनी ने निकाला, पिछले दिनों मप्र के मुख्यमंत्री जी ने इन सभी हटाये गये कर्मियों को नौकरी में वापसी के निर्देश दिये, पर अब तक करीब 888 कर्मियों की नियमित पद के विरूद्ध नियुक्ति की बजाय ट्रांसफार्मर मेंटेनेंस टीम व ब्रिक्स जैसी शॉर्ट टर्म स्कीम वेंडेज पर नौकरी में वापसी हुई हैं, पर इनमें से अधिकांश को कुशल की जगह अकुशल श्रेणी में रखकर कम वेतन दिया जा रहा है।
इन कर्मचारियों को यह आशंका है कि वेंडेज पर वापिस रखे जाने से वह कुछ माह बाद फिर नौकरी से हटा दिये जायेंगे। जबकि आंदोलन के पहले वह रेगुलर पोस्ट के विरूद्ध तैनात थे। यहाँ तक कि बिजली अधिकारी पोस्ट नहीं होने का बहाना बनाकर करीब 200 कर्मचारियों को नौकरी में वापिस लेने से कतरा रहे हैं।
मनोज भार्गव के अनुसार महत्वपूर्ण चौकाने वाली बात यह है कि बिजली अधिकारी छः माह पूर्व रखे गये नये अनुभवहीन ठेका कर्मियों को सब स्टेशनों में ऑपरेटर के रूप में तैनात कर रहे हैं, जबकि छः साल से अधिक अनुभवी ऑपरेटरों को डिमोशन कर उन्हें अकुशल हेल्पर के पद पर रख रहे हैं। इससे बिजली कम्पनियों में ट्रिपिंग व विद्युत दुर्घटनाऐं बढ़ रही हैं, इंसुलेटर फेल हो रहे हैं।
इसलिए 220/132/33/11 केवी सब स्टेशनों में पुराने अनुभवी ऑपरेटरों की तैनाती की जाये, क्योंकि यह अनुभवी कर्मी पीटीआर की प्रॉपर मॉनीटरिंग करना, आईसोलेटर को प्रॉपर ओपन करना भली-भांति जानते हैं। यदि अनुभवी ऑपरेटर को हेल्पर बनायेंगे एवं गैर अनुभवी से ऑपरेटर का काम लेंगे तो वितरण व पॉवर ट्रांसफार्मरों की भयावह क्षति होगी। इस संबंध में मनोज भार्गव ने मुख्यमंत्री जी से हस्तक्षेप की अपील की, ताकि कर्मचारियों की जीविका पहले की भांति चल सके।