प्रशासनिक स्थानांतरण के नाम पर भारी भ्रष्टाचार, शिक्षा विभाग में फिर जमकर चला तबादला उद्योग

प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर द्वारा नियम विरुद्ध स्वैच्छाचारिता एवं मनमाने ढंग से शिक्षक सवर्ग, लिपिक संवर्ग एवं नृत्य संवर्ग के लोक सेवकों के प्रशासनिक स्थानांतरण किये गये, लिपिक संवर्ग के लोक सेवकों के प्रशासनिक स्थानांतरण में कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं किये गये, जिन लिपिकों के स्थानांतरण किये गये वह कार्यालय में पदस्थी दिनांक से कनिष्ठ है, उनके विरूद्ध कोई गंभीर शिकायत की जांच भी लंबित नहीं, फिर भी प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर द्वारा मनमाने ढंग से लिपिकों के प्रशासनिक स्थानांतरण किये गये हैं।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि विभाग में दशकों से एक ही पद पर कार्यरत लिपिकों को प्रशासनिक स्थानांतरण से मुक्त रखा गया है। ऐसे लिपिकों के विरुद्ध दर्जनों फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति देने के प्रकरण की जांच उपरांत दंडित भी किया जा चुका है। फिर भी ऐसे लिपिकों को प्रशासनिक स्थानांतरण से मुक्त रखा गया है। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रशासनिक स्थानांतरण के नाम पर शिक्षक संवर्ग के लोक सेवकों को ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं से नगर क्षेत्र की शालाओं में स्थानांतरण कर पदस्थ कर उपकृत किया गया है, इसी प्रकार अल्प वेतन भोगी भृत्य संवर्ग के लोक सेवकों के प्रशासनिक स्थानांतरण बिना किसी मापदण्ड के किये गये है जो जांच का विषय है।

संघ के दुर्गेश पाण्डे, आलोक अग्निहोत्री, बृजेश मिश्रा, सतीश देशमुख, योगेश कपूर, एसपी चूरामन गुर्जर, मनोज सिंह, परशुराम तिवारी, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी वाथरे, रमेश कार्बले, संदीप चौबे, तुषेन्द्र सेंगर, अमित गौतम, रामकृष्ण तिवारी, सुरेश दाहिया आदि ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री के नाम से कलेक्टर जिला जबलपुर के माध्यम से तहसीलदार अधारताल हरि सिंह धुर्वे को ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर द्वारा प्रशासनिक स्थानांतरण के नाम पर किये गये भारी भ्रष्टाचार की जांच कराई जावे, जांच होने तक जारी किये गये स्थानांतरण आदेश स्थगित रखे जावे।