सरकारी कर्मचारी को एक बार फिर निराशा ही मिली है, सरकार की घोषणा 7 वर्ष पश्चात भी पूरी लागू नहीं हो पाई है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है की 30 अक्तूबर 2015 में लिपिकों की महापंचायत में की गई 1900 ग्रेड पे के स्थान पर 2400 ग्रेड पे देने की घोषणा 7 वर्ष पश्चात भी पूरी लागू नहीं हो पाई है। जिससे लिपिक अपने आप को छला सा महसूस कर रहे है।
घोषणा के अनुसार बनाई गई समिति ने अनुसंशा की है की प्रथम समय मान 2800 द्वितीय समयमान 3200 तृतीय समयमान 3600 दिया जाए, लेकिन आज भी यह लाभ नहीं दिया गया है।
योगेंद्र दुबे ने बताया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 10 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मध्यप्रदेश मंत्रालय, वल्लभ भवन के गेट नंबर-1 के सामने 30 अक्टूबर 2015 को वल्लभ भाई पटेल पार्क में मध्य प्रदेश मंत्रालयीन कर्मचारी संघ एवं मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के संयुक्त तत्वावधान में लिपिक महापंचायत का आयोजन किया गया था।
महापंचायत में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की माँगों एवं वेतन विसंगतियों पर विचार करने हेतु एक उच्च स्तरीय समिति के गठन करने की घोषणा की थी।
मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ 5-9/2015/1-15/कक दिनांक 0705.2016 से समिति का गठन किया गया गया था, समिति में रमेशचन्द्र शर्मा, अध्यक्ष मप्र राज्य कर्मचारी कल्याण समिति, चन्द्रभान पड़वार उप सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, मिलिन्द वाईकर, उपसचिव सचिव वित्त विभाग, सुधीर नायक अध्यक्ष मप्र मंत्रालयीन कर्मचारी संघ, सदस्य मनोज वाजपेयी प्रांताध्यक्ष मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ सदस्य रखे गए थे।
समिति ने 2016 में शासन को प्रतिवेदन सौंप दिया था। लेकिन अनुशंसा के अनुसार आज 2023 सितंबर माह में भी आदेश जारी नहीं किए गए।
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय, लिपिक जिला अध्यक्ष यूएस करोसिया, नरेश शुक्ला, संजय गुजराल, विश्वदीप पटेरिया, संतोष मिश्रा, देव दोनेरिया, प्रशांत सोधिया, राजेंद्र तेकाम, धीरेंद्र सिंह, मुकेश मरकाम, रविकांत दहायत,
सतीश उपाध्याय, अजय दुबे, कपिल दुबे, मनीष बाजपाई, रवि बांगड़, मनोज राय, विनय नामदेव, दुर्गेश पाण्डे, बृजेंद्र मिश्रा ने महापंचायत में गठित समिति की अनुसंसाओ के अनुसार लिपिकों की वेतन विसंगति सुधारने के आदेश जारी करने की मांग की है। मंत्रालय के लिपिक के समान सभी लिपिकों को वेतनमान देने की मांग संवैधानिक अधिकार के साथ ही समान कार्य के समान वेतन की परिधि में भी आता है।