मुझे जबलपुर की पाटन तहसील के ग्राम पिथौरा के किसान आनंद मोहन पलहा ने संदेश भेजकर बताया कि किसानों की हालत बहुत खराब है, माल वेयरहाउस में पड़ा है।
उसने बताया कि हम लोगों ने एक आंदोलन किया था, दो दिन का समय दिया था, मगर कुछ दूसरे संगठनों ने जाकर बिना किसानों से सलाह किए सात दिन का समय दे दिया, जिससे प्रशासन अपनी चाल में सफल हो गया। शासकीय अधिकारी कभी भी किसान का भला नहीं करना चाहते।
यह सच है कि शासन के सुझाव पर अनुशान्गी संगठनों के माध्यम से किसानों के आक्रोश को दबाने की सोची-समझी चाल चली जा रही है। यह बिल्कुल स्पस्ट समझ में आ रहा है। विडंबना है कि हमारे किसान भाई इसे नहीं समझ पा रहे हैं।
इस समय किसानों को संगठनों में बांटने का कार्य तेजी से हो रहा है। शासन कभी किसानों को एक नहीं होने देगा। इस काम में बहुत से राजनैतिक लोग सक्रियता से लगे हुए हैं। उनकी चालें आम लोगों के समझ में नहीं आ सकती।
हमारा किसान विशेष रुप से युवा भ्रमित हैं। जब तक किसान तबको, संगठनों में बंटा रहेगा, बेहतर परिणामों की कल्पना बेमानी होगी। उसका कभी भला नहीं हो पायेगा।