केंद्र सरकार द्वारा आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 126.8 अंक रहा जो अप्रैल 2018 के मुकाबले 3.4 फीसदी ज्यादा है। इसका मतलब यही है कि अप्रैल 2019 में औद्योगिक विकास दर 3.4 फीसदी रही। उधर अप्रैल-मार्च, 2018-19 में औद्योगिक विकास दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.6 फीसदी आंकी गई है।
अप्रैल में खनन, विनिर्माण एवं बिजली क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल 2018 के मुकाबले क्रमश: 5.1 फीसदी, 2.8 फीसदी तथा 6.0 फीसदी रही। उधर, अप्रैल-मार्च 2018-19 में इन तीनों क्षेत्रों यानी सेक्टरों की उत्पादन वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमश: 2.9, 3.6 तथा 5.2 फीसदी आंकी गई है।
उद्योगों की दृष्टि से विनिर्माण क्षेत्र के 23 उद्योग समूहों में से 14 समूहों ने अप्रैल 2018 की तुलना में अप्रैल 2019 के दौरान धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इस दौरान ‘पहनने वाले परिधानों के विनिर्माण’ ने 33.6 प्रतिशत की सर्वाधिक धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसके बाद ‘फर्नीचर को छोड़ काष्ठ एवं काष्ठ उत्पादों और कॉर्क के विनिर्माण; पुआल सामग्री एवं प्लेटिंग सामग्री के विनिर्माण’ का नंबर आता है जिसने 22.6 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसी तरह ‘रिकॉर्डेड मीडिया की प्रिटिंग एवं रिप्रोडक्शन ने 16.3 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। वहीं, दूसरी ओर उद्योग समूह ‘कागज एवं कागज उत्पादों के विनिर्माण ने (-) 12.3 प्रतिशत की सर्वाधिक ऋणात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसके बाद ‘मशीनरी एवं उपकरणों को छोड़ गढ़े हुए धातु उत्पादों के विनिर्माण’ का नंबर आता है जिसने (-) 9.6 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसी तरह ‘अन्य परिवहन उपकरणों के विर्निमाण’ ने (-) 3.5 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर दर्ज की है।
उपयोग आधारित वर्गीकरण के अनुसार अप्रैल में प्राथमिक वस्तुओं (प्राइमरी गुड्स), पूंजीगत सामान, मध्यवर्ती वस्तुओं एवं बुनियादी ढांचागत/निर्माण वस्तुओं की उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल 2018 की तुलना में क्रमश: 5.2 फीसदी, 2.5 फीसदी, 1.0 फीसदी और 1.7 फीसदी रही। जहां तक टिकाऊ उपभोक्ता सामान का सवाल है, इनकी उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल, 2019 में 2.4 फीसदी रही है। इसी तरह गैर-टिकाऊ उपभोक्ता सामान की उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल में 5.2 फीसदी रही।