Thursday, November 28, 2024
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पीछे बंधे हैं हाथ, मगर शर्त है सफ़र… अजीब मुश्किलों से घिरे बिजली कर्मी

पीछे बंधे हैं हाथ मगर शर्त है सफ़र
किस से कहें कि पांव का कांटा निकाल दे

मशहूर शायर #ताज_भोपाली का ये शेर उन बिजली कर्मियों पर सटीक बैठता है, जो इन दिनों नए साहब की आमद के बाद से खासे परेशान हैं। नए साहब मैदानी अधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों को भी दिन-दिन भर ऑनलाइन मीटिंग में बैठाए रखते हैं और उसके बाद तय लक्ष्य पूरा नहीं होने पर क्रूरतम तरीके से मानसिक प्रताड़ना देते हैं।

नए अधिकारी खुद ये बात नहीं समझ पा रहे हैं कि काम करने वालों को अगर मीटिंग में दिन भर बैठाए रखा जाएगा तो लक्ष्य कैसे पूरा होगा। मैदानी कर्मचारी जब मैदान में उतरेंगे तभी तो काम पूरा होगा और लक्ष्य के करीब पहुंचेगा। लेकिन बड़े-बुजुर्ग सही कह गए हैं कि ‘पढ़ा-लिखा होना अलग बात है और समझदार होना अलग बात’।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि अगर अधिकारी दिन भर मीटिंग में बैठाए रखेंगे तो कर्मचारी अपना काम कैसे कर पाएंगे। फिर काम नहीं होने पर कर्मचारियों को प्रताड़ित करना तो हिटलरशाही है। ये बात सिर्फ एक रीजन की नहीं है, अमूमन पूरे प्रदेश में यही हालत है। उन्होंने कहा कि कंपनी प्रबंधन को सिर्फ अपने लक्ष्य दिखाई देते हैं, लेकिन मैनपावर की कमी और संसाधनों के अभाव की तरफ उनका ध्यान ही नहीं जाता।

वहीं बताया जा रहा है कि मैदानी अधिकारियों-कर्मचारियों को दिन भर मीटिंग में बैठाए रखने से जहां उपभोक्ता सेवा और मेंटेनेंस प्रभावित हो रहा है, वहीं राजस्व वसूली भी प्रभावित हो रही है। इसके बाद यही अधिकारी राजस्व वसूली के लक्ष्य में कमी को लेकर प्रताड़ित करते हैं। विद्युत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रताड़ना से त्रस्त एक आउटसोर्स कर्मी ने जॉब छोड़ दिया है, वहीं कई अधिकारियों एवं कर्मियों का वेतन बेवजह काट दिया गया।

नए साहब के द्वारा श्रम नियमों का उल्लंघन कर मैदानी कर्मचारियों को प्रताड़ित किए जाने से जहां कर्मियों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है, वहीं मैदानी अधिकारी में बेहद परेशान हैं, लेकिन अपनी परेशानी खुलकर कह नहीं पा रहे हैं, क्योंकि नए साहब की तानाशाही पर प्रबंधन की चुप्पी भी हैरान करने वाली है।

इस बीच सबसे ज़्यादा प्रताड़ित और शोषित तो आउटसोर्स कर्मचारी हैं, जिन्हें ठेका कंपनी श्रम नियमों के अनुसार कोई सुविधा नहीं देती, वहीं जिस बिजली कंपनी के लिए आउटसोर्स कर्मचारी कार्य करते हैं वो भी आउटसोर्स कर्मियों को अपना कर्मी मानने से इंकार करते हुए उन्हें एकदम से पराया कर देती है।

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