वाराणसी (हि.स.)। एक अप्रैल 2024 से स्वास्थ्य बीमा कम्पनी पॉलिसीधारकों को आयुर्वेद चिकित्सा में हुए व्यय का पूरा भुगतान करेंगी। इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भारत की समस्त स्वास्थ्य बीमा प्रदाता कंपनियों को इसके लिए निर्देश दिया है।
स्वास्थ्य बीमा कंपनियां अभी तक सिर्फ 10,000 रुपये मात्र ही आयुर्वेद चिकित्सा के लिए प्रदान करती हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के प्रो. आनन्द चौधरी ने इस सन्दर्भ में सचिव, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार को 26 अक्टूबर 2023 को पत्र लिखा था।
प्रो. चौधरी ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने पर हुए खर्च को प्रतिपूरित करने में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के द्वारा अपनायी जा रही इस विसंगति को दूर करने का अनुरोध किया था। इस पत्र का संज्ञान लेते हुए आयुष मंत्रालय ने 05 दिसम्बर 2023 को प्रो. चौधरी को विषमता को दूर करने के लिए प्रारम्भ की जा रही कार्यवाही से पत्र के माध्यम से अवगत कराया था। इसे बाद आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रो बीजान मिश्रा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया।
इस समिति की दिसंबर 2023 में हुई बैठक की अनुशंसा को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, हैदराबाद को प्रेषित किया। इन सुझावों को प्राधिकरण ने अपनी शीर्ष संस्था में विचार के उपरान्त 31 जनवरी 2024 को सभी बीमा कंपनियों को दिशा निर्देश जारी किया।
इसमें आयुष चिकित्सा पद्धतियों पर हुए खर्च को भी अन्य चिकित्सा पद्धतियों यथा एलोपैथी की भांति ही पूरा भुगतान बीमा कंपनियों के द्वारा की जाए। सभी बीमा कम्पनियां आयुर्वेद चिकित्सा से सम्बन्धित अपने उन नियमों में परिवर्तन करें, जिनमें आयुर्वेद चिकित्सा के लिए एक निश्चित धनराशि का भुगतान करने का प्राविधान किया है।
साथ ही निर्देश दिया गया कि सभी बीमा कंपनियां आयुर्वेद चिकित्सालयों को अपने नेटवर्क में सम्मिलित करें। बीमा दस्तावेजों में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का उल्लेख करें। प्रो. आनन्द चौधरी ने बताया कि सामान्य जन की आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में विश्वास की जीत है।