Thursday, December 19, 2024
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कूनो को बनाया जाएगा केंद्रीय इको टूरिज्म केंद्रः केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव

भोपाल (हि.स.)। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश इको टूरिज्म का केंद्र बिंदु है। जंगलों, अभयारण्य, टाइगर रिजर्व क्षेत्र अन्य जगहों पर की तुलना में सबसे ज्यादा क्षेत्र मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि चीता पुनर्स्थापना वन्य क्षेत्र के जुड़ाव से एक सर्किट बनता है। कूनो को इको टूरिज्म का हब बनाया जाएगा और केंद्रीय इको टूरिज्म केंद्र की स्थापना भी की जाएगी।

केन्द्रीय मंत्री यादव सोमवार को श्योपुर जिले में स्थित सेसई पूरा के जंगल रिसोर्ट में कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्स्थापन की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया, संभाग आयुक्त दीपक सिंह, दिल्ली से आए डीजीएफ जितेंद्र कुमार एवं चीता प्रोजेक्ट के सलाहकार एसपी यादव उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निवेदन पर केंद्रीय वन मंत्री यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश एलीफेंट प्रोजेक्ट भी चलाया जाएगा और हाथियों से बचाव के लिए स्थानीय लोगों को शिक्षित किया जाएगा। स्थानीय लोगों को गजमित्र बनाया जायेगा। प्रोजेक्ट एलिफेंट के अंतर्गत केंद्रीय दल मध्य प्रदेश आएगा जो असम और केरल के राज्यों के अनुभवों के साथ यहां के हाथियों के झुंड की व्यवहारों का अध्ययन करेगा और उसके संबंध में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगा। इससे हाथियों के संरक्षण पर काम किया जा सके।

केन्द्रीय वन मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश देश में सबसे अनूठा है और कूनो का क्षेत्र अपने आप में सबसे अलग है। यहां चीता पुनर्स्थापना केंद्र शुरू किया गया है। दुनिया में यह सबसे बड़ी सफलता का क्षेत्र भी है, क्योंकि यहां पर चीता को पुनर्स्थापित करने में हमने सफलता पाई है। वर्तमान में 21 चीता हैं और यह एक बड़ी संभावनाओं का क्षेत्र है। देश में कुल 10 वन्य क्षेत्र को इस संबंध में चिन्हित किया गया था। इनमें से तीन केंद्र मध्यप्रदेश में हैं- एक कूनो, दूसरा गांधी सागर और तीसरा नौरादेही। इन तीनों जगह पर जल्दी ही अफ्रीका और नामीबिया की टीम जाकर सर्वे भी करेगी और आने वाले समय में इन जगहों पर चीता को बसाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कूनो क्षेत्र को आर्थिक विकास के मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए कार्य किया जाएगा चीता पुनर्स्थापना के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को संचालित करने के लिए यहां पर व्यवस्था की जाएगी। यहां पर आने वाले समय में 40 हजार से अधिक पर्यटक आने की संभावना है। सभी पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाएगा जैसे खाना बनाने, वन गाइड, वर्ड सेंचुरी, फोटोग्राफी आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि महिला स्व सहायता समूह के उत्पादों के लिए आउटलेट, पर्यटकों के लिए गाइड और स्थानीय उत्पादों को विक्रय के लिए अलग से केंद्र, सुविधा केंद्र के साथ-साथ अन्य चीजों के लिए भी स्थानीय बच्चों को तैयार किया जाएगा। आने वाले पांच सालों में कूनो को अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट मार्केट में स्थापित कर देंगे। यहां की अर्थव्यवस्था लगभग 1000 करोड़ की होगी और यह पहला क्षेत्र होगा जो बिना उद्योगों के 1000 करोड़ की अर्थव्यवस्था वाला क्षेत्र बनेगा।

केन्द्रीय मंत्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुसार कूनो को विकसित किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन पर बिग कैट एलायंस बना है, जिसमें 97 देश सहयोग कर रहे हैं और बिग कैट को बचाने के लिए आपस में सहयोग कर रहे हैं। देश में पांच बिग कैट उपलब्ध हैं और इन पांचों को बचाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम कर रहे हैं। दो विग कैट हमारे देश में नहीं पाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि चीतों के पुनर्स्थापन से पूरे विश्व में हमने सफलता पाई है। जल्दी ही गांधी सागर में भी अफ्रीका और नामीबिया से चीता लाया जाएगा। चीता पुनर्स्थापना में हम सफल हैं और वर्तमान में आठ बच्चे मादा चीता के साथ स्वच्छंद घूम रहे हैं।

उन्होंने कूनो के चीता पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट की समीक्षा के दौरान अन्य अधिकारियों ने भी अपने अनुभवों साझा करते हुए कहा कि कूनो का 900 किलोमीटर का क्षेत्र यहां के चीता मित्रों के कारण फल-फूल रहा है। चीते के जंगलों से खेतों में आने पर भी कोई समस्या नहीं होती है। चीता मित्रों द्वारा तुरंत वन अधिकारियों को सूचित कर उनको संरक्षित और सुरक्षित किया गया है। यह सफलता हासिल करने वाला भारत पूरी दुनिया में अकेला देश है।

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