आज मन की बात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विज्ञान को लेकर ढ़ेर सारे प्रश्न मेरे युवा साथियों ने मुझसे पूछे हैं, कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं। हमने देखा है कि समुन्दर का रंग नीला नज़र आता है लेकिन हम अपने दैनिक जीवन के अनुभवों से जानते हैं कि पानी का कोई रंग नहीं होता है। क्या कभी हमने सोचा है कि नदी हो, समुन्दर हो, पानी रंगीन क्यों हो जाता है ? यही प्रश्न 1920 के दशक में एक युवक के मन में आया था। इसी प्रश्न ने आधुनिक भारत के एक महान वैज्ञानिक को जन्म दिया। जब हम विज्ञान की बात करते हैं तो सबसे पहले भारत-रत्न सर सी.वी. रमन का नाम हमारे सामने आता है। उन्हें light scattering यानि प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबल-पुरस्कार प्रदान किया गया था। उनकी एक ख़ोज ‘रमन इफेक्ट’ के नाम से प्रसिद्ध है। हम हर वर्ष 28 फ़रवरी को ‘नेशनल साइंस डे’ मनाते हैं क्योंकि कहा जाता है कि इसी दिन उन्होंने light scattering की घटना की ख़ोज की थी। जिसके लिए उन्हें नोबल- पुरस्कार दिया गया। इस देश ने विज्ञान के क्षेत्र में कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। एक तरफ़ महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट की परंपरा रही है तो दूसरी तरफ़ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं। सर जगदीश चन्द्र बोस और हरगोविंद खुराना से लेकर सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक-ये भारत के गौरव हैं। सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर तो famous particle ‘Boson’ का नामकरण भी किया गया। संयोग से सौभाग्य है कि आज मैं महर्षि अरबिन्दो की कर्मभूमि ‘Auroville’ में हूँ। एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उनके शासन पर सवाल उठाए। इसी प्रकार उन्होंने एक महान ऋषि के रूप में, जीवन के हर पहलू के सामने सवाल रखा। उत्तर खोज़ निकाला और मानवता को राह दिखाई। सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना,महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक ख़ोज के पीछे की असल प्रेरणा भी तो यही है। तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिये जब तक क्यों, क्या और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर न मिल पाए। नेशनल साइंस डे के अवसर पर हमारे वैज्ञानिकों, विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को मैं बधाई देता हूँ। हमारी युवा-पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं।
साथियो पुणे से रवीन्द्र सिंह ने नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप पर अपने कमेंट में ऑक्यूपेशनल सुरक्षा पर बात की है। उन्होंने लिखा है कि हमारे देश में फैक्ट्रीज और निर्माण स्थलों पर सुरक्षा के मापदंड उतने अच्छे नहीं हैं। अगले 4 मार्च को भारत का नेशनल सेफ्टी डे है, तो प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सुरक्षा पर बात करें ताकि लोगों में सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़े। जब हम नागरिक सुरक्षा की बात करते हैं तो दो चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, pro-activeness और दूसरा है preparedness। सुरक्षा दो प्रकार की होती है एक वो जो आपदा के समय जरुरी होती है,safety during disasters और दूसरी वो जिसकी दैनिक जीवन में आवश्यकता पड़ती है, safety in everyday life। अगर हम दैनिक जीवन में सुरक्षा को लेकर जागरूक नहीं हैं, उसे हासिल नहीं कर पा रहे हैं तो फिर आपदा के दौरान इसे पाना मुश्किल हो जाता है। हम सब बहुत बार रास्तों पर लिखे हुए बोर्ड पढ़ते हैं। उसमें लिखा होता है–
– “सतर्कता हटी-दुर्घटना घटी”,
– “एक भूल करे नुकसान, छीने खुशियाँ और मुस्कान”,
– “इतनी जल्दी न दुनिया छोड़ो, सुरक्षा से अब नाता जोड़ो”
– “सुरक्षा से न करो कोई मस्ती, वर्ना ज़िंदगी होगी सस्ती”
उससे आगे उन वाक्य का हमारे जीवन में कभी-कभी कोई उपयोग ही नहीं होता है। प्राकृतिक आपदाओं को अगर छोड़ दें तो ज़्यादातर दुर्घटनाएँ, हमारी कोई-न-कोई गलती का परिणाम होती हैं। अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो हम अपने जीवन की रक्षा तो कर ही सकते हैं, लेकिन, बहुत बड़ी दुर्घटनाओं से भी हम समाज को बचा सकते हैं। कभी-कभी हमने देखा है कि कार्यस्थल पर सुरक्षा को लेकर बहुत सूत्र लिखे गए होते हैं लेकिन जब देखते हैं तो कहीं पर उसका पालन नज़र नहीं आता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार बजट में ‘स्वच्छ भारत’ के तहत गाँवों के लिए बायोगैस के माध्यम से waste to wealth और waste to energy बनाने पर ज़ोर दिया गया। इसके लिए पहल शुरू की गई और इसे नाम दिया गया ‘GOBAR-Dhan’- Galvanizing Organic Bio-Agro Resources। इस गोबर्धन योजना का उद्देश्य है, गाँवों को स्वच्छ बनाना और पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कंपोस्ट और बायोगैस में परिवर्तित कर, उससे धन और ऊर्जा generate करना। भारत में मवेशियों की आबादी पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा है। भारत में मवेशियों की आबादी लगभग 30 करोड़ है और गोबर का उत्पादन प्रतिदिन लगभग 30 लाख टन है। कुछ यूरोपीय देश और चीन पशुओं के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट का उपयोग ऊर्जा के उत्पादन के लिए करते हैं लेकिन भारत में इसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा था। ‘स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण’ के अंतर्गत अब इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
मवेशियों के गोबर, कृषि से निकलने वाले कचरे, रसोई घर से निकलने वाला कचरा, इन सबको बायोगैस आधारित उर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ‘गोबर धन योजना’ के तहत ग्रामीण भारत में किसानों, बहनों, भाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ कचरे के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें। ‘गोबर धन योजना’ से ग्रामीण क्षेत्रों को कई लाभ मिलेंगे। गांव को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। पशु-आरोग्य बेहतर होगा और उत्पादकता बढ़ेगी। बायोगैस से खाना पकाने और प्रकाश के लिए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। किसानों एवं पशुपालकों को आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। कचरा संग्रहण, परिवहन, बायोगैस की बिक्री आदि के लिए नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे। ‘गोबर धन योजना’ के सुचारू व्यवस्था के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म भी बनाया जाएगा जो किसानों को खरीदारों से जोड़ेगा ताकि किसानों को गोबर और कृषि कचरे का सही दाम मिल सके। मैं उद्यमियों, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में रह रही अपनी बहनों से आग्रह करता हूँ कि आप आगे आयें। स्व सहायता समूह बनाकर, सहकारी समितियां बनाकर इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं।
छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। इस महोत्सव के दौरान तरह-तरह के क्रियाकलाप हुए जिसमें छात्रों से लेकर बड़ों तक, हर कोई शामिल हुआ। कचरे का उपयोग करके अलग-अलग तरह की कलाकृतियाँ बनाई गईं। कचरा प्रबंधन के सभी पहलूओं पर लोगों को शिक्षित करने के लिए कार्यशाला आयोजित किये गए। रायपुर से प्रेरित होकर अन्य ज़िलों में भी अलग-अलग तरह के कचरा उत्सव हुए। स्वच्छता को लेकर एक उत्सव-सा माहौल तैयार हो गया। खासकर स्कूली बच्चों ने जिस तरह बढ़-चढ़ करके भाग लिया, वह अद्भुत था। कचरा प्रबंधन और स्वच्छता के महत्व को जिस अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ।
हर वर्ष 8 मार्च को ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला-दिवस’ मनाया जाता है। देश और दुनिया में कई सारे कार्यक्रम होते हैं। इस दिन देश में ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से ऐसी महिलाओं को सत्कार भी किया जाता है जिन्होंने बीते दिनों में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया हो। आज देश women development से आगे women-led development की ओर बढ़ रहा है। आज हम महिला विकास से आगे महिला के नेतृत्व में विकास की बात कर रहे हैं। इस अवसर पर मुझे स्वामी विवेकानंद के वचन याद आते हैं। उन्होंने कहा था ‘the idea of perfect womanhood is perfect independence- सवा-सौ वर्ष पहले स्वामी जी का यह विचार भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के चिंतन को व्यक्त करता है। आज सामाजिक, आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित करना यह हम सबका कर्तव्य है, यह हम सबकी जिम्मेवारी है। हम उस परंपरा का हिस्सा है, जहाँ पुरुषों की पहचान नारियों से होती थी। यशोदा-नंदन, कौशल्या-नंदन, गांधारी-पुत्र, यही पहचान होती थी किसी बेटे की। आज हमारी नारी शक्ति ने अपने कार्यों से आत्मबल और आत्मविश्वास का परिचय दिया है। स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने ख़ुद को तो आगे बढाया ही है, साथ ही देश और समाज को भी आगे बढ़ाने और एक नए मुक़ाम पर ले जाने का काम किया है। आख़िर हमारा ‘न्यू इंडिया’ का सपना यही तो है जहाँ नारी सशक्त हो, सबल हो, देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो। पिछले दिनों मुझे एक बहुत ही बढ़िया सुझाव किसी महाशय ने दिया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि 8 मार्च, ‘महिला दिवस’ मनाने के भाँति-भाँति के कार्यक्रम होते हैं। क्या हर गाँव-शहर में जिन्होंने 100 वर्ष पूर्ण किये हैं? ऐसी माताओं-बहनों का सम्मान का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है क्या? और उसमें एक लम्बे जीवन की बातें की जा सकती हैं क्या? मुझे विचार अच्छा लगा, आप तक पहुँचा रहा हूँ। नारी शक्ति क्या कर सकती है, आपको ढ़ेर सारे उदाहरण मिलेंगे। अगर आप अगल-बगल में झाकेंगे तो कुछ-न-कुछ ऐसी कहानियाँ आपके जीवन को प्रेरणा देंगी। अभी-अभी झारखण्ड से मुझे एक समाचार मिला। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के अंतर्गत झारखण्ड में लगभग 15 लाख महिलाओं ने- यह आँकड़ा छोटा नहीं है। 15 लाख महिलाओं ने संगठित होकर एक माह का स्वच्छता अभियान चलाया। 26 जनवरी, 2018 से प्रारंभ हुए इस अभियान के अंतर्गत मात्र 20 दिन में इन महिलाओं ने 1 लाख 70 हजार शौचालयों का निर्माण कर एक नई मिसाल कायम की है। इसमें करीब 1 लाख सखी मंडल सम्मिलित हैं। 14 लाख महिलाएँ, 2 हजार महिला पंचायत प्रतिनिधि, 29 हजार जल-सहिया, 10 हज़ार महिला स्वच्छाग्रही तथा 50 हजार महिला राज मिस्त्री। आप कल्पना कर सकते हैं कि कितनी बड़ी घटना है! झारखण्ड की इन महिलाओं ने दिखाया है कि नारी शक्ति, स्वच्छ भारत अभियान की एक ऐसी शक्ति है, जो सामान्य जीवन में स्वच्छता के अभियान को, स्वच्छता के संस्कार को प्रभावी ढंग से जन-सामान्य के स्वभाव में परिवर्तित करके रहेगी।
भाइयो-बहनो, अभी दो दिन पहले मैं न्यूज़ में देख रहा था कि एलीफेंटा द्वीप के तीन गाँवों में आज़ादी के 70 वर्ष बाद बिजली पहुँची है और इसे लेकर वहाँ के लोगों में कितना हर्ष और उत्साह है। आप सब भलीभाँति जानते हैं, एलीफेंटा द्वीप, मुंबई से समुद्र में दस किलोमीटर दूर है। यह पर्यटन का एक बहुत बड़ा और आकर्षक केंद्र है। एलीफेंटा की गुफाएँ, यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज हैं। वहाँ हर दिन देश-विदेश से बहुत बड़ी मात्रा में पर्यटक आते हैं। एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। मुझे यह बात जानकर हैरानी हुई कि मुम्बई के पास होने और पर्यटन का इतना बड़ा केंद्र होने के बावजूद, आज़ादी के इतने वर्षों तक एलीफेंटा में बिजली नहीं पहुँची हुई। 70 वर्षों तक एलीफेंटा द्वीप के तीन गाँव राजबंदर, मोरबंदर और सेंतबंदर, वहाँ के लोगों की ज़िन्दगी में जो अँधेरा छाया था, अब जाकर वह अँधेरा छँटा है और उनका जीवन रोशन हुआ है। मैं वहाँ के प्रशासन और जनता को बधाई देता हूँ। मुझे ख़ुशी है कि अब एलीफेंटा के गाँव और एलीफेंटा की गुफाएँ बिजली से रोशन होंगे। ये सिर्फ़ बिजली नहीं, लेकिन विकास के दौर की एक नयी शुरुआत है। देशवासियो का जीवन रोशन हो, उनके जीवन में खुशियाँ आएँ इससे बढकर संतोष और ख़ुशी का पल क्या हो सकता है।
मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, अभी-अभी हम लोगों ने शिवरात्रि का महोत्सव मनाया। अब मार्च का महीना लहलहाते फसलों से सजे खेत, अठखेलियाँ करती गेंहूँ की सुनहरी बालियाँ और मन को पुलकित करने वाली आम के मंजर की शोभा – यही तो इस महीने की विशेषता है। लेकिन यह महीना होली के त्योहार के लिए भी हम सभी का अत्यंत प्रिय है। दो मार्च को पूरा देश होली का उत्सव हर्षोल्लास से मनाएगा। होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व ‘होलिका दहन’ का भी है क्योंकि यह दिन बुराइयों को अग्नि में जलाकर नष्ट करने का दिन है। होली सारे मन-मुटाव भूल कर एक साथ मिल बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद में सहभागी बनने का शुभ अवसर है और प्रेम एकता तथा भाई-चारे का सन्देश देता है। आप सभी देशवासियों को होली के रंगोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, रंग भरी शुभकामनाएँ। यह पर्व हमारे देशवासियों के जीवन में रंगबिरंगी खुशियों से भरा हुआ रहे – यही शुभकामना।