यूं तो वर्ष में सभी 12 कृष्णपक्षों की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि होती है, किंतु फाल्गुन माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को ‘महाशिवरात्रि’ के नाम से पुकारा गया है और हमारे पुराणों में “महाशिवरात्रि” का बड़ा महात्म्य बताया गया है।
लिंग पुराण के अनुसार इसी दिन ही भगवान महादेव नें स्वयं को निराकार रूप से विलग होकर लिंग रूप में प्रकट किया था। ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान आशुतोष शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान कर उसे अपने कंठ में स्थापित कर लिया और नीलकण्ठ महादेव कहलाए।
एक और प्रचलित मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव नें माता पार्वती से विवाह किया था, तब सभी भक्त गणों नें रात्रि जागरण कर उत्सव मनाया था। शिवरात्रि में सत, रज और तम सभी तीनो गुणों का सुंदर संतुलन स्थापित किया जाता है और शिव परिवार के पूजन-अर्चन, जप, व्रत तथा दान कर्म से मोक्ष की कामना की जाती है।
इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। प्रथम प्रहर यानी प्रदोष काल पूजन मुहूर्त 6:25 से रात 9:28 मिनट तक है। द्वितीय प्रहर की पूजा रात 9:28 से मध्यरात्रि 12:31 तक तथा तृतीय प्रहर 12:31 से लेकर सुबह 3:34 तक होगी। चतुर्थ प्रहर की पूजा प्रातः 3:34 से 9 मार्च प्रातः 6:35 तक होगी।
निशीथ काल पूजन मुहूर्त रात 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
महाशिवरात्रि व्रत का पारण 9 मार्च को सुबह 6:38 बजे के उपरांत किया जाएगा।
त्रिग्रही युति योग
इस साल शिवरात्रि पर कुम्भ राशि में तीन बड़े ग्रहों, शनि, शुक्र और सूर्य की त्रिग्रही युति बन रही। इसके साथ ही एक दिन पूर्व बुध मीन राशि मे और मंगल ग्रह मकर राशि मे विद्यमान रहेंगे। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार ऐसा अदभुत संयोग लगभग साढ़े तीन सौ वर्षों के बाद निर्मित हो रहा।
सभी राशियों के लिए नवग्रह जनित पीड़ा, शनि की ढैया, साढ़े साती, शनि एवं राहु की महादशा, अन्तर्दशा, राहु-केतु की पीड़ा, कालसर्प दोष, पितृ दोष आदि का शमन इस दिन किये जा सकते हैं। रुद्राभिषेक, शिव के मंत्रों के जाप से आसानी से किया जा सकता है। इस दिन शिव लिंग पर अभिषेक करते समय श्री सूक्त तथा रूद्र सूक्त का पाठ करना विशेष फलदाई होगा।