यूं तो मध्य प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां राज्य सरकार के अधीन कार्य करती हैं, लेकिन जब नीतिगत मामले के क्रियान्वयन की बात हो या सरकार की घोषणाओं पर अमल करने की बात हो, सभी बिजली कंपनियों का प्रबंधन अपनी मनमर्जी के अनुसार निर्णय लेकर सरकार की घोर अवहेलना करने पर उतारू हो जाता है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया है कि तकनीकी कर्मचारी संघ द्वारा संपूर्ण मध्य प्रदेश के 52 जिलों में जनवरी 2023 को पांच दिन की हड़ताल तीन मांगों को लेकर की गई थी।
उसके बाद प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के द्वारा कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया था कि मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की तीनों वितरण कंपनियों में कार्यरत वे आउटसोर्स कर्मी, जिनके द्वारा आईटीआई पास किया गया हो या ओवरहेड तार मिस्त्री का सर्टिफिकेट प्राप्त किया गया हो, उन सभी को ₹1000 जोखिम भत्ते के रूप में दिया जाएगा।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि तकनीकी कर्मचारी संघ द्वारा प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर उनका ध्यान इस ओर दिलाया जा रहा है कि ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाली मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी में हजारों की तादात में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी भी करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करते हैं, उन सभी को भी ₹1000 जोखिम भत्ते के रूप में दिया जाए।
संघ के मोहन दुबे, अजय कश्यप, राजकुमार सैनी, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, पवन यादव, संदीप यादव, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, विनोद दास, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, अमीन अंसारी, मुकेश पटेल, अरुण मालवीय, आजाद सकवार, विकास ठाकुर आदि ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि ट्रांसमिशन कंपनी में कार्यरत सभी आउटसोर्स कर्मियों को जोखिम भत्ता दिया जाए।