सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
लगी जो ठोकर सोचा उसने कि
मैं शायद डर जाऊंगी, रोऊंगी
चिल्लाऊंगी और थक हार कर
बस बैठ जाऊंगी तो कहा मैंने
उसे कुछ यूं ललकार कि
ओ ठोकर!! सुन ले तो जरा!
कानों को अपने ओ पगली!
अच्छी तरह से खोलकर.!!!
तूने जो सोचा है कि डरा देगी
मुझे ऐसा कर तो सुन ले भ्रम है
तेरा, क्योंकि मैं बहुत ढीठ हूं
मैं ऐसे ही पीछे नहीं हटूंगी……
न रुकुंगी और न ही थकूंगी…
हर पीड़ा को हंसकर सहूंगी
मग़र! हारकर न बैठूंगी
तूने! व्यर्थ ही रोड़ा अटकाया
समय अपना व्यर्थ गंवाया…
रखती हूं अपना आत्मविश्वास
हर पल संजोकर इसीलिए तो,
चल देती हूं मैं फिर से अपने
पथ पर तत्पर होकर……!!