वाराणसी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित 28 लोगों के खिलाफ वाराणसी में कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व अपर सिविल जज (सीडी प्रथम) की अदालत में परिवाद दाखिल की गई है। अदालत ने परिवाद को स्वीकार कर लिया है।
अदालत ने इस मामले के लिए गठित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) की कोर्ट रिक्त होने के चलते प्रकीर्ण वाद के रूप में मामले को दर्ज रजिस्टर करने का आदेश दिया। युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विकास सिंह ने अपने अधिवक्ता गोपाल कृष्ण के जरिए 9 मई को कोर्ट में मानव अधिकार अधिनियम 1993 के तहत ये प्रार्थना पत्र दिया है। अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र में कोरोना महामारी के दौरान लगाई गई वैक्सीन के साइड इफेक्ट का दावा कर आरोप लगाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को विपक्षी बनाया गया है।
आरोप है कि विपक्षीगणों ने आपस में मिलीभगत करते हुए बिना किसी परीक्षण के कोविशील्ड नामक दवा बनाकर लोगों को भय दिखाकर कोरोना वैक्सीन बताकर लोगों को जबरन लगवाए और उससे लाभ अर्जित किए। इसके साथ वैक्सीन बनाने वाली कंपनी द्वारा प्रधानमंत्री को उस लाभ में हिस्सेदार बनाते हुए उन्हें चंदा के रूप में कंपनी द्वारा अर्जित लाभांश दिया गया। इस मामले में 23 मई को सुनवाई के दौरान वादी को साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद कोर्ट की तरफ से दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया जाएगा।
अधिवक्ता विकास सिंह के अनुसार याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायहित और लोक हित में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत सभी 28 विपक्षीगण को तलब कर उन्हें दंडित किया जाय। इस मामले में जितने भी लोग कोविशील्ड दवा के साइड इफेक्ट से पीड़ित हैं, सभी को क्षतिपूर्ति दिलाई जाए।