भोपाल (हि.स.)। मध्यप्रदेश में सायबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए राज्य साइबर पुलिस द्वारा साइबर अपराधियों के विरूद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है और विभिन्न नवाचारों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है। इसी अनुक्रम में आज गुरुवार को पुलिस मुख्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में पुलिस के क्षमता विकास हेतु कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में डीजीपी सुधीर सक्सेना संपूर्ण समय उपस्थित रहे।
विशेष वक्ता के रूप में केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के सीईओ राजेश कुमार ने साइबर अपराधों की रोकथाम और पीड़ितों को त्वरित सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में पुलिस ऑफिसर्स को प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में डीएसपी और उससे ऊपर के 700 अधिकारी उपस्थित रहे। ऑनलाइन माध्यम से फील्ड के डीएसपी, एएसपी, एसपी, डीआईजी तथा आईजी और पुलिस मुख्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में मुख्यालय में पदस्थ एडीजी, आईजी, डीआईजी, एआईजी और डीएसपी स्तर तक के समस्त अधिकारी भी उपस्थित रहे।
1930 पर आने वाले 100 प्रतिशत कॉल उठाए जा रहे
प्रशिक्षण की शुरूआत में सीईओ राजेश कुमार ने मप्र पुलिस को बधाई देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां पूरे प्रदेश के पुलिस अधिकारी व्यापक स्तर पर समस्त अधिकारी हाइब्रिड मोड में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम बढ़ने की गति बहुत तेज है। भारत में घटित साइबर क्राइम मुख्यत: पूर्वी, दक्षिणी राज्यों और दिल्ली के आसपास के साथ ही भारत के बाहर दक्षिण एशियाई देशों से कारित किए जा रहे हैं। इसमें भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं।
उन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार भारत सरकार के साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के माध्यम से साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए नए-नए समाधान खोज रही है, ताकि अनुसंधान में मदद मिल सके। अपराधों की रोकथाम में विभिन्न राज्यों का समन्वय और समवेत प्रयास हों, इसके लिए साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर विशेष रूप से क्रियाशील है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के सीईओ राजेश कुमार ने कहा कि देशभर में प्रतिदिन साइबर क्राइम से संबंधित 7 हजार से अधिक शिकायतें आती हैं। उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम में वर्ष 2021 से 2022 तक 113.7 प्रतिशत तथा वर्ष 2022 से 2023 तक 60.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए जनता भी सहयोग कर सकती है। उन्होंने साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए संचालित किए जा रहे प्रतिबिंब पोर्टल, समन्वय प्लेटफॉर्म, जेएमआईएस, 1930 आदि के बारे में सभी पुलिस अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 1930 पर आने वाले 100 प्रतिशत कॉल उठाए जा रहे हैं, जो पुलिस की तत्परता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि साइबर फ्रॉड के मामले में फरियादी द्वारा शीघ्र सूचित किए जाने और पुलिस द्वारा शीघ्र कार्रवाई किए जाने से शीघ्र मामले का निराकरण किया जा सकता है।
चुनौतियों को दूर करना आवश्यक: डीजीपी
डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना ने साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए पुलिस के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि साइबर के क्षेत्र में पुलिस के सामने मल्टीपल चैलेंजेस आते हैं। इन चुनौतियों में अपराधियों द्वारा नए-नए तरीके अपनाए जाने, साइबर क्राइम की संख्या अत्यधिक होने, भौगोलिक समस्या जैसे एक जिले में अपराध कर आरोपी द्वारा दूसरे जिले में भाग जाना, साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए रिसोर्सेस की कमी होना, स्पेशल ट्रेनिंग व जिला स्तर पर एक्सपर्ट्स की कमी आदि शामिल हैं। इनके अतिरिक्त सबसे बड़ी चुनौती यह जानना है कि किस तरह पीड़ित को शीघ्रता से सहायता उपलब्ध करवाई जा सकती है। इन चुनौतियों को दूर करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि विक्टिम्स को नॉलेज न होना भी बड़ी समस्या है, यहां तक कि कई पुलिसकर्मियों को भी पूरी तरह पता नहीं है कि साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिए करना क्या है, इसके लिए आवश्यक है कि सभी अधिकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर रहें और जानें कि एक्टिवली करना क्या है। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण जिले के सभी एसपी द्वारा निचले स्तर तक पहुंचाया जाना आवश्यक है ताकि साइबर क्राइम से पीड़ित आमजन राहत महसूस कर सके।
डीजीपी ने साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक जिले में नोडल ऑफिसर की नियुक्ति किए जाने के निर्देश दिए। डीजीपी श्री सुधीर सक्सेना ने कहा कि उक्त कार्यक्रम में मिले विशेष प्रशिक्षण का लाभ पुलिस के अंतिम छोर तक पहुंच सके, इसके लिए सभी एसपी को निर्देशित किया गया कि ऐसा प्रशिक्षण जिला स्तर तक करवाया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के पीड़ितों को तुरंत मदद मिले और उनसे ठगी राशि उन्हें, मिल सके उसके लिए पुलिस अधिकारी विशेष प्रयास करे।