Tuesday, July 2, 2024
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कब है देवशयनी एकादशी 2024: जानिए कब से आरंभ होगा चातुर्मास, तिथि और महत्व

सनातन संस्कृति में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। सनातन पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी, पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं।

देवशयनी एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं, तो वहीं कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागृत होते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास यानि देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तिथि तक कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। सनातन मान्यता है कि चातुर्मास की इस अवधि में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं।

सनातन पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार 16 जुलाई को शाम 8ः33 बजे आरंभ होगी और बुधवार 17 जुलाई को रात 9ः02 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार बुधवार 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं देवशयनी एकादशी व्रत का पारण गुरुवार 18 जुलाई को सुबह 5ः35 बजे से लेकर सुबह 8ः20 बजे तक किया जा सकेगा।

पंचांग के अनुसार इस वर्ष देवशयनी एकादशी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें शुक्ल योग बुधवार 17 जुलाई को सुबह 7ः05 बजे से बन रहा है, वहीं इसका समापन गुरुवार 18 जुलाई को सुबह 6ः13 बजे होगा। जो भक्त बुधवार 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे व्रत का पारण गुरुवार 18 जुलाई को करेंगे। पारण का समय सुबह 5:35 बजे से सुबह 8:20 बजे तक है।

एकादशी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस संयोग में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सनातन मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद साफ चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। उसके बाद उनको भोग, दीप, धूप बत्ती आदि अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-आराधना करनी चाहिए।

बुधवार 17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास आरंभ हो जाएगा, जो देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होगा। चातुर्मास में चार माह तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते, इस अवधि में शादी, मुंडन आदि सभी मांगलिक कार्य बंद रहते हैं।

चातुर्मास के समापन दिन देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्‍णु चार माह के शयनकाल के बाद जागते हैं और फिर से समस्त मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है। इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी यानि देवउठनी एकादशी मंगलवार 12 नवंबर 2024 को है। चातुर्मास के दौरान भगवान शिव, भगवान श्रीहरि विष्णु, भगवान गणेश और मां दुर्गा की उपासना करना श्रेष्ठ माना गया है। चातुर्मास की अवधि में ही 10 दिन का गणेशोत्‍सव पर्व, शारदेय नवरात्रि, दशहरा, दिवाली महापर्व मनाए जाते हैं। इसके अलावा भगवान शंकर को समर्पित सावन मास के सोमवार व्रत, नागपचंमी, करवा चौथ जैसे कई महत्‍वपूर्ण व्रत भी इसी अवधि में ही किए जाते हैं।

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